Processed Meat And Heart Disease:

Is Red Meat Healthy or Not: रेड मीट हमेशा से चर्चा का विषय रहा है. आमतौर पर लाल मांस उस मांस को कहा जाता है जो कच्चा होने पर लाल दिखाई देता है और चार पैरों वाले जानवरों से मिलता है. इसमें बीफ, वील, पोर्क, लैम्ब और हिरण का मांस शामिल है. डाइटिशियन कीर्सन पेट्रुज़ी के मुताबिक, लाल मांस का रंग इसमें मौजूद मायोग्लोबिन नामक प्रोटीन की अधिक मात्रा के कारण होता है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे यह आपके लिए खतरनाक हो सकता है.

लाल मांस में पाए जाने वाले पोषक तत्व

लाल मांस पोषण से भरपूर माना जाता है. यह विटामिन B12 का मुख्य स्रोत है, जो हमारे खून और नर्वस सिस्टम के लिए बेहद जरूरी है. इसके अलावा इसमें आयरन, जिंक, बी-विटामिन्स, सेलेनियम और नियासिन जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. रेड मीट प्रोटीन से भी भरपूर होता है और यह शरीर में आसानी से अवशोषित हो जाता है, जबकि पौधों से मिलने वाला प्रोटीन इतनी आसानी से नहीं पचता. एक आउंस (लगभग 28 ग्राम) लाल मांस में करीब 7 ग्राम प्रोटीन होता है. यानी 6 आउंस की स्टेक खाने पर लगभग 42 ग्राम प्रोटीन मिलता है, जो सीडीसी (CDC) की डेली प्रोटीन आवश्यकता के लगभग बराबर है. इसी कारण कई हेल्थ डाइट्स में लाल मांस को शामिल करने की सलाह दी जाती है.

लाल मांस के नुकसान क्या हैं?

हालांकि लाल मांस पोषण देता है, लेकिन इसका अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसे हफ्ते में एक बार से ज्यादा नहीं खाना चाहिए. खासतौर पर प्रोसेस्ड रेड मीट यानी प्रसंस्कृत लाल मांस सबसे ज्यादा हानिकारक माना जाता है. इसमें हैम, बेकन और सलामी शामिल हैं. इनमें सैचुरेटेड फैट और सोडियम की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो दिल की बीमारियों और डायबिटीज का खतरा बढ़ाती है.

रिसर्च क्या कहती है?

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च में पाया गया कि रोज़ाना 50 ग्राम प्रोसेस्ड मीट (जैसे बेकन या हैम) खाने से दिल की बीमारी का खतरा 18 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में छपे शोध के अनुसार, 50 ग्राम प्रोसेस्ड मीट (यानी सिर्फ 2 स्लाइस हैम) रोजाना खाने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

कोलेस्ट्रॉल और कैंसर का खतरा

रेड मीट का एक और नुकसान यह है कि यह शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ाता है. इससे दिल की बीमारियों का खतरा और अधिक बढ़ जाता है. इसके अलावा, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने रेड मीट को ग्रुप 2A कार्सिनोजन की श्रेणी में रखा है. यानी इसका अधिक सेवन इंसानों में कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है. रेड मीट पोषण का अच्छा स्रोत है और सीमित मात्रा में इसका सेवन शरीर के लिए फायदेमंद हो सकता है. लेकिन हैम, बेकन और सलामी जैसे प्रोसेस्ड मीट का नियमित सेवन दिल की बीमारियों, डायबिटीज और कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है. इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लाल मांस का सेवन सीमित मात्रा में ही करें और संभव हो तो ताजे व कम वसा वाले मांस को चुनें.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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