Shakha Pola bracelet: शाखा पोला पारंपरिक बंगाली चूड़ियां हैं, जो शादीशुदा महिलाओं द्वारा पहनी जाती हैं, जिसमें ‘शाखा’ शंख से बनी सफेद चूड़ी और ‘पोला’ लाल मूंगे से बनी होती है.
ये विवाहित स्त्रीत्व, सौभाग्य और पति के लंबी आयु का प्रतीक हैं. इन्हें बंगाली हिंदू संस्कृति में सुहाग की निशानी माना जाता है और अक्सर शादी के बाद दुल्हन को पहनाया जाता है.
शाखा-पोला सुहागिन महिलाओं को प्रतीक
शाख पोला कंगन एक बंगाली परंपरा है, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पति के सुहाग और लंबी उम्र की कामना करते हुए और घर में समृद्धि व सुख-शांति लाने के लिए इसे पहनती हैं.
सफेद शंख से बनी ‘शाखा’ और लाल मूंगे से बनी ‘पोला’ शुद्धता, पवित्रता और जीवन की ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है. यह चूड़ियां बंगाली शादियों में दुल्हन के नव-विवाहित जीवन में प्रवेश का भी प्रतीक हैं.
शाखा पोला कंगन कब और क्यों पहने जाते हैं?
बंगाल में विवाहित महिलाएं शादी के बाद अपनी कलाइयों को सफेद शंख (शाखा) और लाल मूंगे (पोला) से बनी चूड़ियों से सजाती हैं, क्योंकि यह उनके सुहाग और वैवाहिक जीवन में खुशहाली का प्रतीक मानी जाती हैं.
ये चूड़ियां विवाह की रस्मों के दौरान दुल्हन को पहनाई जाती हैं और पति के अच्छे स्वास्थ्य व खुशहाल जीवन की कामना का प्रतीक होती हैं.
शाखा-पोला कंगन पहनने का समय और महत्व
- शादी के समय: बंगाली शादी के दौरान दुल्हन को शाखा पोला चूड़ियां पहनाई जाती हैं. यह एक महत्वपूर्ण रस्म है, जहां ये चूड़ियां पवित्र मंत्रोच्चार के साथ दुल्हन के हाथों में पहनाई जाती हैं.
- विवाहित जीवन का प्रतीक: ये चूड़ियां विवाहित महिला के वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और समृद्धि लाती हैं.
- धार्मिक और पारंपरिक महत्व: शाखा पोला चूड़ियों का बंगाली संस्कृति में गहरा धार्मिक महत्व है. सफेद शंख से बनी शाखा पवित्रता और लाल मूंगे से बना पोला खुशी और वंश को आगे बढ़ाने का प्रतीक है.
- सौभाग्य का प्रतीक: ऐसा माना जाता है कि विवाहित महिलाएं जब हाथों में शाखा और पोला पहनती हैं तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका वैवाहिक जीवन बेहद खुशहाल होता है.
- सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा: माना जाता है कि ये चूड़ियां घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखती हैं और परिवार के सुख-शांति के लिए शुभकामनाएं लाती हैं.
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