ट्रंप की धमकी से नहीं डरा यूरोपीय संघ, रास आ रहा पीएम मोदी का साथ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार रूस-यूक्रेन युद्ध को शांत कराने के लिए जतन करते दिखाई दे रहे हैं। इसके लिए ट्रंप
रूसी और उसके तेल खरीदने वाले देशों को लगातार धमकी देते आ रहे हैं। उन्होंने यूरोप के देशों को भी रूसी तेल खरीदने वालों पर सख्ती बरतने को कहा था। यूरोप देशों को तुरंत रूस से तेल खरीद को रोकने पर तुरंत रोक लगाने को कहा था। ट्रंप का बड़ा निशाना भारत था। क्योंकि ट्रंप लगातार रूस से तेल खरीदने पर भारत से आपत्ति जताए हुए हैं। अब यूरोपीय संघ ने ट्रंप की धमकी को दरकिनार करते हुए भारत से संबंध बेहतर करने के लिए प्रयास किए। कहा कि यूरोप भारत को रूस के पाले में धकेलना नहीं चाहता।

व्यापार का दिया उदाहरण

व्यापार वार्ता के प्रभारी शेफोविच ने कहा कि पिछले दशक में यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे यह समूह भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है। कहा कि यह अमेरिका और चीन से आगे है, साथ ही भारत के शीर्ष निवेशकों में से एक है। और फिर भी मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं कि हमने अभी केवल सतह को ही खरोंचा है।

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अमेरिकी के अलावा जी7 पर दिया ध्यान

शेफोविच ने कहा कि हम न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ, बल्कि अन्य जी7 साझेदारों के साथ भी बहुत निकटता से समन्वय कर रहे हैं, क्योंकि हमारा मानना ​​है कि यदि जी7 भी इसी प्रकार कार्य करता है, तो इसका प्रभाव और भी अधिक मजबूत होगा।

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रूस के साथ अभ्यास पर जताया एतराज

हाल ही में भारतीय सेनाओं ने बेलारूस में रूस के जैपद (पश्चिमी) सैन्य अभ्यास में भाग लिया, जो नाटो देशों के साथ युद्ध जैसा था। इस पर एस्टोनिया से आने वाले कैलास देश ने एतराज जताया है। कैलास यूरोपीय संघ के अग्रिम पंक्ति के देशों में से एक है। उसने इस अभ्यास को रूसी हमले के प्रति संवेदनशील माना जाता है। कहा कि यह हमारे देशों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। मेरा मतलब है कि अगर आप (भारत) हमारे साथ घनिष्ठ संबंध चाहते हैं, तो ऐसे अभ्यासों में भाग क्यों लें जो हमारे अस्तित्व के लिए खतरा हैं?

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