Shardiya Navratri 2025: आश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार, 22 सितंबर 2025 से हो रही है और 1 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी. वहीं 2 अक्टूबर को विजयादशमी (Vijayadashami 2025) पर मां दुर्गा का विसर्जन किया जाएगा.
नवरात्रि शुरू होते ही लोग इसकी तैयारियों में जुट जाते हैं. नौ दिवसीय नवरात्रि के अलग-अलग दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. लेकिन पहला दिन महत्वपूर्ण होता है.
नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना या कलश स्थापना की जाती है. कलश स्थापना के बाद ही पूजा आरंभ होती है. इसलिए यह विधि महत्वपूर्ण मानी जाती है.
घट स्थापना के दिन कलश की स्थापना की जाती है. यह कलश पूरे नौ दिनों तक देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति के समक्ष ही रहता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास बताते हैं कि, नवरात्रि में घट स्थापना के लिए मिट्टी के कलश का ही प्रयोग करना चाहिए. आइये जानते हैं घट स्थापना में मिट्टी के कलश का क्या महत्व होता है.
घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ही क्यों?
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, प्राचीन काल से ही पूजा-पाठ में कलश स्थापना की जाती है, जिसके लिए मिट्टी के कलश का ही प्रयोग होता रहा है. हालांकि इसके अलावा पीतल, स्टील, तांबा जैसे कई धातुओं के कलश प्रयोग में लाए जाते हैं.
लेकिन मिट्टी का कलश पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान के लिए सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है. इसलिए नवरात्रि के दिन शुभ मुहूर्त में मिट्टी के कलश से ही घट स्थापना करें. इससे मां भगवती प्रसन्न होंगी और पूजा का फल मिलेगा.
घट स्थापना 2025 मुहूर्त (Navratri Ghatasthapana Muhurat 2025)
- शुभ मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 09 मिनट से 08 बजकर 06 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 तक रहेगा.
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