मुंबई में आयोजित MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) के कार्यक्रम में SEBI चीफ तुहिन कांत पांडे ने कमोडिटी मार्केट को और गहराई देने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई अहम कदमों का ऐलान किया.
उनका कहना था कि मौजूदा समय में जियो-पॉलिटिकल टेंशन और वैश्विक व्यापारिक नीतियां सीधे तौर पर उत्पादन लागत और निर्यात पर असर डाल रही हैं, इसलिए भारत को अपने कमोडिटी मार्केट को और मजबूत बनाना होगा.
ग्लोबल हालात का असर
SEBI प्रमुख ने कहा कि आज के समय में जियो-पॉलिटिकल तनाव रोजमर्रा की हकीकत बन चुके हैं. अमेरिका द्वारा कॉपर और एल्युमीनियम पर टैरिफ दोगुना किए जाने से भारत जैसे देशों के एक्सपोर्ट पर सीधा असर पड़ा है. ऐसे में घरेलू कमोडिटी मार्केट को गहराई देने और स्थिरता लाने की जरूरत और बढ़ जाती है.
– MCX के कार्यक्रम में SEBI चीफ का बयान
– नॉन-एग्री कमोडिटी में FPI ट्रेडिंग पर विचार
– कमोडिटी ट्रेड के लिए बैंक, पेंशन और इंश्योरेंस फंड को मंजूरी पर विचार#MCX #SEBI #CommodityMarket #FPITrading @SEBI_India @Ektaexplores pic.twitter.com/11QyqPQOdx
— Zee Business (@ZeeBusiness) September 17, 2025
कृषि कमोडिटी पर बनेगी कमेटी
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SEBI ने जानकारी दी कि कृषि कमोडिटी के बाजार को और गहराई देने के लिए एक कमेटी का गठन किया जा चुका है. यह कमेटी इस बात पर काम करेगी कि कैसे किसानों और ट्रेडर्स को बेहतर अवसर दिए जाएं और कैसे बाजार को ज्यादा आकर्षक बनाया जाए.
नॉन-एग्री कमोडिटी में FPI ट्रेडिंग
SEBI प्रमुख ने बताया कि नॉन-कैश सेटल्ड नॉन-एग्रीकल्चर कमोडिटी डेरिवेटिव्स में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को ट्रेडिंग की अनुमति देने पर विचार चल रहा है. अगर यह फैसला लागू होता है तो विदेशी निवेशकों के आने से इस मार्केट में बड़ी मात्रा में लिक्विडिटी आएगी और यह ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेगा.
बैंक, पेंशन और इंश्योरेंस फंड्स को मिलेगी एंट्री
SEBI ने यह भी कहा कि वह सरकार से बातचीत कर रहा है ताकि बैंक, पेंशन फंड्स और इंश्योरेंस फंड्स को भी कमोडिटी ट्रेडिंग मार्केट में प्रवेश की अनुमति मिल सके. इससे इस सेक्टर में लंबे समय का पूंजी निवेश आएगा और निवेशकों का भरोसा भी बढ़ेगा.
नए कंप्लायंस सिस्टम में कमोडिटी ब्रोकर होंगे शामिल
पारदर्शिता और बेहतर निगरानी के लिए SEBI ने ऐलान किया है कि दिसंबर 2025 तक नए कंप्लायंस रिपोर्टिंग सिस्टम में कमोडिटी ब्रोकरों को भी शामिल कर लिया जाएगा. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में सभी प्रतिभागियों की गतिविधियां समय-समय पर रिपोर्ट हों और किसी भी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे.
क्या होगा असर?
इन कदमों से साफ है कि SEBI भारतीय कमोडिटी मार्केट को वैश्विक मानकों पर ले जाने की कोशिश कर रहा है. विदेशी निवेशकों की एंट्री, बड़े वित्तीय संस्थानों को ट्रेडिंग की अनुमति और नए कंप्लायंस सिस्टम से यह बाजार ज्यादा पारदर्शी, सुरक्षित और लिक्विड बनेगा.
SEBI चीफ का यह बयान दिखाता है कि आने वाले सालों में भारतीय कमोडिटी मार्केट में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. दिसंबर 2025 तक लागू होने वाले नए नियम और निवेशकों की बढ़ती भागीदारी इस मार्केट को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है.
खबर से जुड़े FAQs
Q1. SEBI चीफ ने MCX कार्यक्रम में क्या कहा?
SEBI चीफ ने कमोडिटी मार्केट को गहराई देने, FPI ट्रेडिंग पर विचार और नए कंप्लायंस सिस्टम लागू करने की घोषणा की.
Q2. कृषि कमोडिटी के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
SEBI ने कृषि कमोडिटी का दायरा बढ़ाने के लिए एक कमेटी बनाई है.
Q3. नॉन-एग्री कमोडिटी में FPI को ट्रेडिंग की अनुमति मिलेगी?
हां, SEBI इस पर विचार कर रहा है और जल्द फैसला हो सकता है.
Q4. दिसंबर 2025 तक क्या बदलाव होंगे?
दिसंबर 2025 तक नया कंप्लायंस रिपोर्टिंग सिस्टम लागू होगा जिसमें कमोडिटी ब्रोकर भी शामिल होंगे.
Q5. बैंक और पेंशन फंड्स को क्या मंजूरी मिल सकती है?
SEBI सरकार से बातचीत कर रहा है ताकि बैंक, पेंशन और इंश्योरेंस फंड्स को कमोडिटी ट्रेडिंग की अनुमति दी जा सके.
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