Air Pollution Effect on Heart: प्रदूषण हमारी सांसों में घुल चुका है. गाड़ियों का धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं और जंगलों की आग ने सब तबाह कर दिया है. क्योंकि जब हम ये हवा सांस के साथ अंदर लेते हैं, तो यह केवल फेफड़ों तक ही नहीं रुकती, बल्कि धीरे-धीरे हमारे दिल (Heart) को भी नुकसान पहुंचाने लगती है. हाल ही में जर्नल रेडियोलॉजी (Radiology) में प्रकाशित एक नई रिसर्च ने यह खुलासा किया है कि लंबे समय तक प्रदूषण में रहना दिल की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है और हार्ट फेलियर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है.
दिल की मांसपेशियों में धीरे-धीरे बन रहा है दाग
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रदूषित हवा में मौजूद छोटे कण, जिन्हें PM2.5 (Fine Particulate Matter) कहा जाता है, दिल की मांसपेशियों में Myocardial Fibrosis नामक दाग छोड़ जाते हैं. यह एक तरह का स्कार है, जो समय के साथ दिल को कमजोर बनाता है.
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PM2.5 कैसे करता है नुकसान?
PM2.5 के कण बेहद सूक्ष्म होते हैं और ये आसानी से फेफड़ों से होते हुए खून में घुस जाते हैं. वहां से ये सीधे दिल तक पहुंचकर उसके (Tissues) को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
- गाड़ियों के धुएं से
- फैक्ट्रियों से
- जंगल की आग से
- यही वजह है कि लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने वाले लोगों में heart disease risk अधिक देखा गया.
MRI स्कैन से हुआ बड़ा खुलासा
टोरंटो विश्वविद्यालय की डॉ. केट हैनेमन और उनकी टीम ने 694 लोगों पर स्टडी की, इनमें 201 लोग बिल्कुल स्वस्थ थे और 493 लोग दिल को कमजोर करने वाली बीमारी से पीड़ित थे. MRI स्कैन से पता चला कि जिन लोगों ने ज्यादा प्रदूषण झेला, उनके दिल की मांसपेशियों में ज्यादा Scarring थी.
किन लोगों पर ज्यादा असर?
- महिलाएं
- हाई ब्लड प्रेशर वाले लोग
- धूम्रपान करने वाले
- इनमें heart damage तेजी से बढ़ा
दिल की जांच में जरूरी होगा प्रदूषण का इतिहास
वैज्ञानिकों का कहना है कि अब डॉक्टरों को मरीज का Air Pollution Exposure History भी देखना चाहिए.
यह स्टडी साबित करती है कि प्रदूषण का असर केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिल को भी चुपचाप नुकसान पहुंचा रहा है. MRI जैसे medical imaging tools हमें इन शुरुआती संकेतों को पहचानने में मदद कर सकते हैं. समय रहते सावधानी बरतकर हम दिल को मजबूत और सुरक्षित रख सकते हैं.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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