भारतीय वायुसेना ने हाल ही में 114 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को सौंपा है. ये सभी फाइटर जेट मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए जाएंगे. फ्रांस की डसॉस्ट एविएशन कंपनी और टाटा मिलकर इनका निर्माण करेंगे, जिसमें 60 फीसदी स्वदेशी सामनों का इस्तेमाल किया जाएगा. बताया जा रहा है कि यह डील 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का हो सकता है. इस बीच डिफेंस एक्सपर्ट मेजर गौरव आर्या ने कहा कि भारत के लिए 114 राफेल काफी नहीं होंगे.
‘भारत को एक साथ 10 स्क्वॉड्रन लेने चाहिए’
भारतीय वायुसेना के पास अभी फाइटर जेट के 29 स्क्वॉड्रन है. इनमें से मिग-21 के दो स्क्वॉड्रन इस महीने के अंत तक रिटायर हो जाएंगे. चाणक्य डायलॉग यूट्यूब चैनल पर मेजर गौरव आर्या ने कहा, “अगर एक स्क्वाडन में 18 जहाज शामिल करेंगे तो 114 राफेल से करीब छह स्क्वॉड्रन बनेंगे. हमने पहले 36 राफेल लिए थे तो उसके दो स्क्वॉड्रन बने थे. सबसे पहले हमने राफेल की दो स्क्वॉड्रन ली. अब हम छह स्क्वॉड्रन ले रहे हैं. चार साल बाद हम फिर कहेंगे कि और राफेल खरदीने हैं. हम एक साथ 10 स्क्वॉड्रन क्यों नहीं ले रहे हैं.“
मेजर गौरव आर्या ने कहा, “जब हमारे पास पैसा है हमें फ्रांस से 10 स्क्वॉड्रन लेनी चाहिए. हमें फ्रांस से कहना चाहिए कि हम 8 स्क्वॉड्रन भारत में बनाएंगे और दो स्क्वॉड्रन आप मुझे फ्लाई अवे कंडीशन में दीजिए. इससे ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी बढ़ जाएगी.”
‘भारत को चाहिए और फाइटर जेट’
उन्होंने कहा, “इंडियन एयरफोर्स के पास 42 ऑथराइज स्क्वॉड्रन है. हालांकि ये पुराना आंकड़ा है, लेकिन अभी इसी पर बात करेंगे. किसी भी डिफेंस एक्सपर्ट से बात करेंगे तो वो यही कहेंगे कि हमें और स्क्वॉड्रन चाहिए. हमें 50 से 55 स्क्वॉड्रन की जरूरत है. इससे भारत को फायदा होगा इसलिए भारत को अभी कम से कम 10 स्क्वॉड्रन की जरूरत है.”
मेजर गौरव आर्या ने ये भी कहा कि 80 तेजस मार्क-1A विमान से हमारा 10 स्क्वॉड्रन तो पूरा हो जाएगा, लेकिन अमेरिकी इंजन की डिलीवरी कब करेगा ये किसी को पता नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे एक तरफ पाकिस्तान और दूसरी तरफ चीन है तो हमें खतरा 10 या 15 साल बाद नहीं, बल्कि आज है.
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