Nepal Gen-G Protest: Gen-Z आंदोलन की बड़ी कीमत चुका रहा नेपाल! हुआ अरबों का नुकसान, 10 हजार से ज्यादा की गई नौकरी

नेपाल में बीते दिनों हुए विरोध प्रदर्शन ने देश की आर्थिक स्थिति को करारा झटका दिया है. जेन-जी आंदोलन से हुई हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ के कारण अरबों का नुकसान हुआ है. करीब 10 हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं और दरबार स्क्वायर, पोखरा, भैरहवा और चितवन जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल खाली पड़ चुके हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वालों की संख्या भी तेजी से घटी है.

नेपाल का मौजूदा वक्त आमतौर पर पर्यटक सीजन का होता है, जहां बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं. बड़ी संख्या में प्रवासी इस दौरान अपने देश लौटते हैं और स्थानीय व्यापार को मजबूत करते हैं. इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है. हालांकि, इस बार ऐसा कुछ होता नहीं दिखाई  दे रहा है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह जेन-जी आंदोलन को माना जा रहा. 

अर्थव्यवस्था को अरबों का झटका
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार आंदोलन से नेपाल की अर्थव्यवस्था को लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जो देश की डेढ़ साल की बजट राशि के बराबर है. सरकारी और निजी बुनियादी ढांचे को भी भारी क्षति पहुंची है. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस वर्ष आर्थिक वृद्धि दर 1% से नीचे जा सकती है. साथ ही, आगामी चुनावों के चलते सरकार पर 30 अरब रुपये का अतिरिक्त बोझ भी पड़ेगा.

उद्योग जगत पर असर
नेपाल के बड़े व्यवसायिक समूह और करदाता भी इस संकट की चपेट में आए हैं. भट-भटेनी सुपरमार्केट और चौधरी समूह को करोड़ों का नुकसान हुआ है. एनसेल टेलीकॉम कंपनी को भी भारी क्षति हुई. होटल एसोसिएशन नेपाल के अनुसार होटल व्यवसाय को लगभग 25 अरब रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि ऑटो सेक्टर ने करीब 15 अरब रुपये की क्षति का अनुमान लगाया है. हालांकि कई उद्यमियों ने पुनर्निर्माण की प्रतिबद्धता जताई है. भट-भटेनी ने अपने संदेश में लिखा कि वे और मजबूत होकर वापसी करेंगे, वहीं चौधरी समूह के निदेशक निर्वाण चौधरी ने भी पुनर्निर्माण और बेहतर भविष्य की बात कही.

पर्यटन उद्योग की गिरावट
नेपाल की अर्थव्यवस्था में पर्यटन प्रमुख आधार है. त्योहारों और छुट्टियों के मौसम में बड़ी आय होती है, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल उलटे हैं. होटल, रेस्टोरेंट, एयरलाइंस और ट्रैवल एजेंसियां खाली हैं. दरबार स्क्वायर और पोखरा जैसे स्थलों पर सामान्य से अधिक सन्नाटा है. पर्यटकों की संख्या में गिरावट ने लाखों लोगों की आजीविका पर सीधा असर डाला है. होटल व्यवसायी योगेंद्र शाक्य के अनुसार असली चुनौती आने वाले महीनों में राजनीतिक स्थिरता बहाल करना है. अगर हालात नहीं सुधरे तो पर्यटन उद्योग लंबे समय तक प्रभावित रहेगा.

राजनीतिक स्थिरता और भविष्य
मार्च 2026 में होने वाले चुनावों से पहले नेपाल की सरकार को आर्थिक दबाव झेलना पड़ेगा. राजनीतिक अस्थिरता के कारण निवेशकों का भरोसा भी कमजोर हुआ है. हालांकि नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति से सुधार की उम्मीद जगी है. उद्योग जगत का मानना है कि अगर राजनीतिक स्थिरता वापस आई तो नेपाल पुनर्निर्माण कर सकेगा और अर्थव्यवस्था फिर से रफ्तार पकड़ सकती है.

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