दुनिया में कई ऐसे ठग हुए हैं जो कि अपने कारनामों की वजह से चर्चित रहे हैं. इस लिस्ट में चार्ल्स शोभराज का नाम पहले नंबर पर है. चार्ल्स की तरह भारत के एक महाठग ने क्राइम की दुनिया में खूब नाम कमाया. दिलचस्प बात यह है कि उसने जज बनकर अपनी ही रिहाई का फैसला सुना दिया. कहा तो ये भी जाता है कि उसने एक बार चार्ल्स शोभराज के केस का भी फैसला सुनाया था. इस महाठग का नाम धनीराम मित्तल है. धनीराम हरियाणा का रहने वाला था.
धनीराम ने एक हजार से ज्यादा गाड़ियां चुराईं. उस पर 150 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए और 90 बार जेल गया. धनीराम ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और चंडीगढ़ के कई इलाकों में वारदात को अंजाम दिया है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक धनीराम ने हरियाणा के रोहतक से बीएससी की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद राजस्थान से एलएलबी की पढ़ाई की. जब सरकारी नौकरी नहीं मिली तो अपराध की दुनिया में दस्तक दे दी.
जब धनीराम ने सुनाया अपनी ही रिहाई का फैसला
बात 1980 की है, धनीराम ने इस दौरान एक ऐसा काम कर दिया जो भारत के इतिहास में पहली बार हुआ था. उसने करीब 40 दिनों तक फर्जी जज बनकर झज्जर की कोर्ट में फैसले सुनाए. इस दौरान दावा किया जाता है कि उसने 2000 से ज्यादा कैदियों को रिहा कर दिया था.
दरअसल धनीराम को अखबार में खबर पढ़ने के दौरान पता चला कि झज्जर के एडिशनल सिविल जज के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है. बस यहीं से धनीराम के शातिर दिमाग में खयाल आया कि क्यों न इस मौके का फायदा उठा लिया जाए. उसने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार की ओर से एडिशनल सिविल जज को लेटर लिखा और उस जज को छुट्टी पर भेज दिया. वहीं दूसरा लेटर जब तक एडिशनल जज छुट्टी पर हैं तब तक वह खुद जज का पद संभालेगा. इस दौरान धनीराम में अपनी भी रिहाई का फैसला सुना दिया था.
वकीलों को हुआ शक तो गिरफ्तारी से पहले हुआ फरार
धनीराम के फैसलों की चर्चा तेजी से होने लगी थी. जेलों में बंद आरोपियों को तेजी से जमानत मिलना सभी के लिए हैरान करने वाला था. वकीलों को भी आश्चर्य हुआ कि नए जज कैसे सभी को जमानत दिए जा रहे हैं. इसकी चर्चा जब बढ़ने लगी तो धनीराम अचानक कोर्ट छोड़कर चला गया. वह इस मामले उस समय गिरफ्तार नहीं हो पाया. हालांकि साल 2016 में उसकी आखिरी बार गिरफ्तारी हुई थी और 2024 में दिल का दौरा पड़ने की वजह से मौत हो गई.
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