नई दिल्ली। मुंबई में 2006 में एक ट्रेन में ब्लास्ट हुआ था। इस आरोप में पुलिस ने कई निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। 9 साल तक जेल में रहने के बाद कोर्ट ने जब उन्हे बरी किया तो, पीड़ित ने 9 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग कर दी। पीड़ित ने मानवाधिकार आयोग में यह मांग की है। पीड़ित ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि 9 साल तक जेल में रहने के कारण उस पर बहुत यातनाएं की गई है और उसकी शिक्षा और निजी जीवन पूरी तरह तबाह हो गया है। हालंकि पीड़ित 2015 में ही बरी हो गया था, लेकिन उसने मुआवजे की मांग लगभग दस साल बाद की है। इस मामले में कई निर्दोष लोग जेल गए थे।
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बता दे कि 11 जुलाई 2006 को मुंबई में सात लोकल ट्रेनों के प्रथम श्रेणी डिब्बों में बलास्ट हुआ था। सातों ब्लास्ट छह मिनट के अंदर हुए थे। सभी ब्लास्ट शाम 6:23 बजे से 6:29 बजे के बीच हुए था। इस ब्लास्ट में 187 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं लगभग आठ सौ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। इसमें से कोई दिव्यांग भी हो गए थे। इस मामले में पुलिस आर एटीएस ने मिलकर कई लोगों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में उच्च न्यायालय ने बीते जुलाई में 12 लोगों को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया है। वहीं इस मामले में मुंबई के अब्दुल वाहिद शेख को पहले ही 2015 में बरी कर दिया गया था। अब्दुल ने रिहाई के लगभग दस साल बाद 9 करोड़ रुपए की मुआवजे की तौर पर मांग की है। अब्दुल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग में मुआवजे को लेकर आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि वह निर्दोष थे इसके बाद भी वह 9 साल तक जेल मे रहे। उन्होंने आगे कहा कि हिरासत में यातना की वजह से कई गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ा था। बता दें कि शेख को महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के मामले में गिरफ्तार किया था।
आज भी लोग आतंवादी की नजर से देखते है
अब्दुल वाहिद शेख ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद उन्हे आतंवादी भी कहा गया था।
2015 में 9 साल बाद अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। इस कलंक से रिहाई के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई। बरी होने के बाद इस कलंक की वजह से कहीं काम नहीं मिला। अब्दुल ने बताया कि वह फिलहाल एक स्कूल अध्यापक है और अपने परिवार में कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा कि जेल में रहने के कारण परिवार को सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ा था।
इस कारण नहीं किया था दस साल तक मुआवजे की मांग
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अब्दुल वाहिद शेख ने बताया कि उन पर लगभग 30 लाख रुपये का कर्ज भी था। अब्दुल ने अपने आवेदन में कहा कि नैतिक कारणों से उन्होंने दस सालों तक कोई भी मुआवजा नहीं मांगा था। इसका सबसे बड़ा कारण था उनके साथ गिरफ्तार हुए आरोपी दोषी ठहराए जा चुके थे, जिसमें पांच लोगों को फांसी की और सात लोगों को उम्र कैद की सजा हुई थी। इस कारण उन्होने इंतजार करने का फैसला किया था। जुलाई 2025 में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। सभी के बरी होने के बाद ही मुआवजे का आवेदन किया है।
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