Yogi Government Will Monitor The Admission Of Poor Children In Private Schools

लखनऊ। योगी सरकार (Yogi Government) ने गरीब बच्चों को निजी स्कूलों (Private Schools) में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था को संशोधित करते हुए अब और कड़े नियमों तथा सख़्त निगरानी के साथ लागू कर दिया है। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी और इसके लिए माता-पिता व बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य रहेगा।

पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश की आयु सीमा 3 से 6 वर्ष और कक्षा-1 के लिए 6 से 7 वर्ष तय कर दी गई है। पहली बार जिलास्तर पर क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति गठित की गई है, जिसकी अध्यक्षता डीएम करेंगे। इस समिति में दर्जन भर से अधिक जिला स्तरीय अधिकारी सदस्य होंगे, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। इतना ही नहीं, प्रवेश आवेदन एवं प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले विवादों का त्वरित निस्तारण सीडीओ की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय विवाद समाधान समिति करेगी।

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि सरकार की यह पहल शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि अब कोई भी गरीब बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि हर वर्ग को समान अवसर मिले।

₹1 लाख वार्षिक आय वाले परिवारों के बच्चों को मिलेगा लाभ

इस व्यवस्था का लाभ अनुसूचित जाति, जनजाति, सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग, अनाथ, निराश्रित, एचआईवी/एड्स व कैंसर पीड़ित अभिभावकों के बच्चों तथा दिव्यांगजन परिवारों के बच्चों को मिलेगा। साथ ही, जिन परिवारों की वार्षिक आय ₹1 लाख तक है, उनके बच्चे भी इसमें शामिल होंगे।

पारदर्शी है प्रवेश प्रक्रिया

सभी आवेदन www.rte25.upsdc.gov.in पोर्टल पर होंगे। विद्यालयों को अपनी उपलब्ध सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। आवंटित छात्रों की सूची सार्वजनिक की जाएगी, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो। निजी विद्यालयों (Private Schools) में प्रवेश पाने वाले बच्चों की फीस का भार सरकार उठाएगी। साथ ही, ड्रेस और किताबों की खरीद के लिए अभिभावकों को सीधे उनके बैंक खातों में ₹5,000 की वार्षिक सहायता दी जाएगी।

नहीं लगा सकेंगे फर्जी अभिलेख, प्रवेश न देने पर विद्यालय की मान्यता का प्रत्याहरण

शासनादेश के अनुसार मिथ्या या फर्जी दस्तावेज़ों पर प्रवेश की कोशिश करने वाले अभिभावकों पर न केवल रोक लगेगी बल्कि उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई भी की जाएगी। इतना ही नहीं, यह प्रयास स्कूलों की मनमानी और उनके द्वारा फीस प्रतिपूर्ति में किये जाने वाले संभावित घालमेल पर अंकुश लगाने का प्रयास भी है। विद्यालयों को अब मनमानी की छूट नहीं होगी। यदि किसी आवंटित बच्चे को बिना उचित कारण के प्रवेश से वंचित किया गया तो संबंधित विद्यालय की मान्यता तक प्रत्याहरण (रद्द) की जा सकती है।

ऑनलाइन होगा सत्यापन, अपार आईडी के अभाव में नहीं मिलेगी फीस प्रतिपूर्ति: कंचन वर्मा

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा का कहना है कि बच्चे के आवंटित विद्यालय में प्रवेश के बाद विद्यालय को अनिवार्य रूप से उसकी जानकारी आरटीई ऑनलाइन पोर्टल एवं यू-डायस पोर्टल पर दर्ज कराते हुए अपार आईडी बनानी होगी। यदि यह प्रक्रिया पूर्ण नहीं की जाती, तो विद्यालय को फीस प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं मिलेगा। पारदर्शी वित्तीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति एवं सहायता राशि का भुगतान तभी किया जाएगा, जब संबंधित विद्यालयों से प्राप्त मांग पत्र/प्रतिपूर्ति बिल जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा शत-प्रतिशत सत्यापित होंगे। इस सत्यापन में विगत शैक्षिक सत्रों में नामांकित तथा वर्तमान में अध्ययनरत छात्रों की रजिस्ट्रेशन संख्या और विद्यालय आवंटन के आधार पर मिलान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रत्येक तिमाही में स्थलीय निरीक्षण कर विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों का सत्यापन किया जाएगा।

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