सीमांचल का मखाना अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विदेशों में भी अपनी मजबूत पैठ बना चुका है. ऐसे में मखाना उत्पादकों और व्यापारियों को नई उम्मीद तब जगी है, जब देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कटिहार पहुंचने वाली हैं. वह चंद्रमा चौक स्थित पीयूष डोकानियां के मखाना केंद्र का दौरा करेंगी और स्थानीय मखाना व्यवसायियों व किसानों से सीधी बातचीत करेंगी.
कटिहार स्वादिष्ट मखाने के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध
बिहार के कटिहार जिला की धरती अपने अनोखे और स्वादिष्ट मखाने के लिए पूरे देश-विदेश में प्रसिद्ध है. इस पारंपरिक व्यवसाय ने अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बना ली है. बिहार से बड़े पैमाने पर मखाने की सप्लाई विदेशों तक जाती है, जिससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि सीमांचल की अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिली है.
इसी क्रम में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कटिहार दौरे पर आ रही हैं. सूत्रों के अनुसार, वह चंद्रमा चौक स्थित उद्योगपति पीयूष डोकानियां के मखाना केंद्र का दौरा करेंगी और यहां मखाना उत्पादकों व व्यापारियों से मुलाकात करेंगी. वित्त मंत्री का यह दौरा मखाना व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए काफी अहम माना जा रहा है.
मखाना उत्पादक और व्यवसायी पीयूष डोकानियां का कहना है कि सीमांचल में कंटेनर डिपो की सख्त जरूरत है. वर्तमान में तैयार माल को पहले दिल्ली भेजा जाता है और वहां से विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. इस प्रक्रिया में किसानों और व्यापारियों को अतिरिक्त खर्च का सामना करना पड़ता है. अगर सीमांचल में ही कंटेनर डिपो की सुविधा उपलब्ध हो जाए, तो लागत कम होगी और मखाना किसानों को सीधा फायदा मिलेगा.
साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार अगर सीमांचल में मखाने के लिए सस्ती दरों पर स्टोरेज फैसिलिटी उपलब्ध कराए तो यह कदम भी गेम-चेंजर साबित हो सकता है. बड़े पैमाने पर मखाना स्टोर कर रखने से निर्यातकों को फायदा होगा और विदेशों में मांग के हिसाब से समय पर सप्लाई सुनिश्चित हो पाएगी. इससे न केवल किसानों और व्यापारियों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि सरकार को भी राजस्व के रूप में लाभ होगा.
मखाना उद्योग से जुड़ी किसानों और मजदूरों की रोजी
गौरतलब है कि मखाना उद्योग से हजारों किसानों और मजदूरों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है. ऐसे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह दौरा सीमांचल के लिए नए अवसर लेकर आ सकता है. मखाना उत्पादकों को उम्मीद है कि सरकार इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाएगी और सीमांचल को देश के प्रमुख निर्यात केंद्रों में शामिल करेगी.
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