भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कहा है कि एशिया की दो बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं, भारत और चीन को किसी भी प्रकार के टैरिफ और व्यापार युद्ध का कड़ा विरोध करना चाहिए और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को बनाए रखना चाहिए. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, “इतिहास बदला नहीं जा सकता, लेकिन भविष्य को हम बदल सकते हैं.
टैरिफ और व्यापार युद्ध पर रुख
शू फेइहोंग ने कहा, “हमें समान और सुव्यवस्थित बहुध्रुवीय विश्व और सभी के लिए फायदेमंद और समावेशी वैश्विक आर्थिक प्रणाली का समर्थन करना चाहिए. किसी भी प्रकार के टैरिफ और व्यापार युद्ध का विरोध करना चाहिए और विकासशील देशों के साझा हितों की रक्षा करनी चाहिए.”
उन्होंने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को ‘अनुचित और असंगत’ बताया और कहा कि अमेरिका लंबे समय से मुक्त व्यापार से लाभान्वित रहा है, लेकिन अब टैरिफ को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर अत्यधिक कीमत वसूलने की कोशिश कर रहा है.
शांति और वैश्विक जिम्मेदारी
चीन-भारत के रिश्तों और विश्व स्थिति पर बात करते हुए शू फेइहोंग ने कहा कि दुनिया एक नई अशांति और परिवर्तन के दौर में प्रवेश कर चुकी है, जहां मानवता को शांति और युद्ध, संवाद और टकराव, सहयोग और प्रतिस्पर्धा में से चुनना होगा. उन्होंने दोनों देशों से कहा कि उन्हें वैश्विक दृष्टि और जिम्मेदारी दिखानी चाहिए और विश्व शांति, साझा विकास और वैश्विक शासन सुधार में योगदान देना चाहिए.
❗️”भारत और चीन को किसी भी प्रकार के टैरिफ और व्यापार युद्ध का कड़ा विरोध करना चाहिए” – शू फेइहोंग
भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने द्वितीय विश्व युद्ध में जीत की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित सेमिनार में कहा, ”🇮🇳-🇨🇳 को एक समान और व्यवस्थित बहुध्रुवीय दुनिया और सबके लिए फायदेमंद… pic.twitter.com/FHxPBJInXt
— RT Hindi (@RT_hindi_) September 8, 2025
भारत-चीन संबंध और व्यापार
शू फेइहोंग ने कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हुए हैं और इस साल पहले सात महीनों में द्विपक्षीय व्यापार 88 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.5% बढ़ा. उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ विकास रणनीतियों में तालमेल बढ़ाने और आधुनिकीकरण के अनुभव साझा करने के लिए तैयार है.
वीजा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
उन्होंने बताया कि इस साल चीन की राजनयिक मिशनों ने 2,40,000 से अधिक वीजा भारतीय नागरिकों को जारी किए. इसके अलावा, चीन ने तिब्बत के कांग्रिनबोक और मापाम युको के लिए भारतीय तीर्थयात्राओं को फिर से शुरू किया, जबकि भारत ने चीन के नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा जारी करना शुरू किया.
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