अंतरिक्ष यात्रियों को शून्य ग्रैविटी में रहना पड़ता है, जहां न तो कपड़े धोना आसान है और न ही पानी का इस्तेमाल करना. अब तक अंतरिक्ष यात्री अपने गंदे कपड़े धो नहीं सकते थे, बल्कि इस्तेमाल के बाद उन्हें फेंकना पड़ता था. यह प्रक्रिया बेहद महंगी और संसाधन-खपत वाली थी, क्योंकि हर मिशन में भारी मात्रा में कपड़े ले जाना पड़ता था.
इसी चुनौती को देखते हुए चीन के वैज्ञानिकों ने एक अनोखी तकनीक विकसित की है, जिससे अब अंतरिक्ष यात्री बिना डिटर्जेंट और कम से कम पानी का उपयोग करके कपड़े साफ कर सकेंगे. चीन अंतरिक्ष यात्री अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (CARTC) ने घोषणा की है कि उन्होंने एक क्यूब-आकार की वॉशिंग मशीन बनाई है. यह मशीन आकार में एक कैरी-ऑन सूटकेस से थोड़ी बड़ी है. इसका वजन करीब 12 किलोग्राम है. यह हर एक साइकिल में केवल 400 मिलीलीटर पानी का इस्तेमाल करती है. यह मशीन एक बार में 800 ग्राम कपड़े साफ कर सकती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि मशीन पानी को लिक्विड रूप में नहीं, बल्कि अल्ट्रासोनिक एटमाइजेशन से धुंध में बदलकर इस्तेमाल करती है.
अल्ट्रासोनिक और ओज़ोन तकनीक का कमाल
अल्ट्रासोनिक और ओज़ोन तकनीक में पानी को धुंध में बदल दिया जाता है, जो कपड़े के रेशों में गहराई तक पहुंचकर गंदगी को हटाती है. इसमे डिटर्जेंट की जगह मशीन UV लाइट से ओज़ोन बनाती है. यह प्राकृतिक कीटाणुनाशक कपड़ों पर मौजूद बैक्टीरिया और वायरस को पूरी तरह खत्म कर देता है. इसका फायदा ये होता है कि कपड़े 5 बार पहनने तक भी सुरक्षित रहते हैं और उनमें दुर्गंध नहीं आती.
पानी और संसाधनों की बचत
पारंपरिक मशीनों की तुलना में इसमें बेहद कम पानी लगता है और रसायनों की जरूरत नहीं होती, जिससे यह पर्यावरण और अंतरिक्ष दोनों के लिए आदर्श तकनीक बन जाती है. अंतरिक्ष यात्रियों के लिए फायदे की बात करें तो अब अंतरिक्ष यात्रियों को हर मिशन में भारी-भरकम कपड़े नहीं ले जाने पड़ेंगे. कपड़े हमेशा कीटाणुरहित रहेंगे, जिससे संक्रमण का खतरा कम होगा. 12 किलोग्राम की यह मशीन अंतरिक्ष यान में आसानी से फिट हो सकती है. यह तकनीक भविष्य में पृथ्वी पर भी वॉशिंग मशीन उद्योग में क्रांति ला सकती है.
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