भारतीय सेना में एक ऐतिहासिक पल तब आया, जब लेफ्टिनेंट पारुल धडवाल ने 5वीं पीढ़ी की पहली महिला अधिकारी के रूप में भारतीय सेना में शामिल होकर अपने परिवार की सैन्य विरासत को आगे बढ़ाया.
पारुल धडवाल ने शनिवार (6 सितंबर, 2025) को चेन्नई के प्रतिष्ठित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) से पासआउट होने के बाद भारतीय सेना की ऑर्डनेंस कोर में कमीशन प्राप्त किया. उन्हें उनके कोर्स में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया गया है, जो उनकी असाधारण समर्पण और योग्यता को रेखांकित करता है.
पारुल की पृष्ठभूमि और परिवार
पारुल धडवाल पंजाब के होशियारपुर जिले के जनौरी गांव से ताल्लुक रखतीं हैं, जो अपने मजबूत सैन्य परंपरा के लिए जाना जाता है. वह अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी की सदस्य हैं, जो भारतीय सेना में सेवा कर रही हैं. इसके पहले पारुल के पिता मेजर जनरल के. एस. धडवाल और उनके भाई कैप्टन धनंजय धडवाल भी शामिल हैं. पारुल के पिता और भाई दोनों 20 सिख रेजिमेंट में अपनी सेवा दे रहे हैं.
धडवाल परिवार की सैन्य विरासत
पारुल धडवाल के परिवार की सैन्य विरासत 129 साल पुरानी है, जो उनके पिता मेजर जनरल के. एस. धडवाल के परदादा सुबेदार हरनाम सिंह से शुरू होती है, जिन्होंने 74 पंजाबी रेजिमेंट में अपनी सेवा दी थी. उनके बाद दूसरी पीढ़ी में पारुल के परदादा मेजर एल. एस. धडवाल 3 जाट में सेवा कर चुके हैं, जबकि तीसरी पीढ़ी में पारुल के चचेरे दादा कर्नल दलजीत सिंह धडवाल और ब्रिगेडियर जगत जामवाल ने भी सेना में सेवा की है.
वहीं, चौथी पीढ़ी में पारुल के पिता मेजर जनरल कुलेश्वर सिंह धडवाल भी भारतीय सेना में तैनात हैं और अब पारुल पांचवीं पीढ़ी में अपने भाई कैप्टन धनंजय धडवाल के साथ भारतीय सेना में शामिल होने वाली परिवार की पहली महिला अधिकारी हो गईं हैं.
महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी ले. पारुल धडवाल
लेफ्टिनेंट पारुल की कमीशनिंग न केवल उनके परिवार की सैन्य परंपरा को मजबूत करती है, बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करती है. यह घटना उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो सेना में शामिल होकर अपने देश के लिए खड़े होने का सपना देखती हैं.
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