SEBI ने शुक्रवार को एक नया सर्कुलर जारी किया है, जिसमें KYC Registration Agencies (KRAs) के रजिस्ट्रेशन सरेंडर करने की प्रक्रिया को आसान, पारदर्शी और निवेशक हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
इस नए फ्रेमवर्क के तहत KRAs के स्वैच्छिक (Voluntary) और अनैच्छिक (Involuntary) एग्जिट को सुव्यवस्थित किया जाएगा, ताकि ऑपरेशंस के दौरान निवेशकों के रिकॉर्ड्स की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
क्या हैं नए बदलाव?
SEBI के सर्कुलर में कहा गया है कि यह फ्रेमवर्क उन सभी स्थितियों के लिए लागू होगा जहां कोई KRA बिजनेस कारणों, वित्तीय संकट या रेगुलेटरी एक्शन के चलते रजिस्ट्रेशन सरेंडर करना चाहता है. नियामक का मानना है कि निवेशकों को बिना किसी परेशानी के सेवा मिलती रहे और कोई डेटा लॉस न हो, इसके लिए पूरी प्रक्रिया को स्पष्ट करना जरूरी था.
डेटा ट्रांसफर होगा अनिवार्य
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सर्कुलर के मुताबिक, कोई भी KRA अपने रजिस्ट्रेशन के सरेंडर से पहले अपनी सभी KYC रिकॉर्ड डेटा को एक निर्धारित Transferee KRA को ट्रांसफर करेगा. यह ट्रांसफर इस तरह से होगा कि निवेशकों को किसी भी तरह का नया KYC कराने की जरूरत न पड़े.
बोर्ड-स्वीकृत SOP और ओवरसाइट कमेटी
नए नियमों के तहत हर KRA को एक Board-approved Standard Operating Procedure (SOP) तैयार करनी होगी. इसमें डेटा ट्रांसफर की प्रक्रिया, सर्विस कंटिन्यूटी, और निवेशकों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन होगी.
इसके अलावा, हर सरेंडर करने वाले KRA को एक Oversight Committee बनानी होगी, जो पूरे winding-down प्रोसेस की निगरानी करेगी.
निवेशक हेल्पडेस्क और प्रोटेक्शन
SEBI ने साफ किया है कि KRA को रजिस्ट्रेशन सरेंडर करने के बाद भी 12 महीने तक निवेशकों के लिए हेल्पडेस्क चलाना होगा. इसका उद्देश्य यह है कि इस दौरान निवेशकों को किसी भी डेटा संबंधित सहायता में परेशानी न हो.
टाइमलाइन का कड़ा पालन
- SEBI ने इस पूरी प्रक्रिया के लिए सख्त टाइमलाइन तय की है:
- 7 दिन में: SEBI को इंटिमेशन देना होगा.
- 14 दिन में: सभी स्टेकहोल्डर्स को जानकारी दी जाएगी.
- 60 दिन में: डेटा माइग्रेशन पूरा करना होगा.
- 75 दिन में: क्लोजर और ऑडिट की रिपोर्ट तैयार होगी.
- 90 दिन में: SEBI को फाइनल रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
अनैच्छिक मामलों में SEBI की भूमिका
अगर किसी KRA को वित्तीय संकट या रेगुलेटरी एक्शन की वजह से रजिस्ट्रेशन सरेंडर करना पड़ता है, तो SEBI जरूरत पड़ने पर अस्थायी एडमिनिस्ट्रेटर या नया KRA अपॉइंट कर सकती है. इसके अलावा, टाइमलाइन को भी ओवरराइड किया जा सकता है.
निवेशकों के लिए क्या मायने हैं नए नियम?
इस नए फ्रेमवर्क का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निवेशकों के रिकॉर्ड्स सुरक्षित रहें और KRA की एग्जिट प्रोसेस से उनकी सर्विस पर कोई असर न पड़े. SEBI ने कहा कि यह कदम पूंजी बाजार में डेटा सुरक्षा, पारदर्शिता और निवेशक विश्वास को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है.
खबर से जुड़े 5 FAQs
1. SEBI ने यह नया सर्कुलर क्यों जारी किया है?
SEBI का उद्देश्य KRA के रजिस्ट्रेशन सरेंडर प्रोसेस को पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है ताकि निवेशकों का डेटा सुरक्षित रहे और उनकी सेवाओं में कोई बाधा न आए.
2. डेटा माइग्रेशन कैसे होगा?
सरेंडर करने वाला KRA अपने सभी निवेशक KYC डेटा को बिना किसी नुकसान या नए KYC की जरूरत के, एक निर्धारित Transferee KRA को ट्रांसफर करेगा.
3. निवेशकों के लिए हेल्पडेस्क कितने समय तक उपलब्ध रहेगा?
नए नियमों के मुताबिक, सरेंडर करने वाले KRA को 12 महीने तक निवेशक हेल्पडेस्क चलाना अनिवार्य होगा.
4. क्या यह नियम केवल स्वैच्छिक एग्जिट पर लागू होंगे?
नहीं, यह नियम स्वैच्छिक और अनैच्छिक दोनों प्रकार के एग्जिट पर लागू होंगे. अनैच्छिक मामलों में SEBI नया KRA या एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर सकती है.
5. टाइमलाइन का पालन कैसे होगा?
SEBI ने 90 दिनों में पूरे प्रोसेस को पूरा करने की टाइमलाइन तय की है, जिसमें 7 दिन में नोटिफिकेशन, 60 दिन में डेटा माइग्रेशन और 90 दिन में फाइनल रिपोर्ट शामिल है.
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