पंजाब के फिल्लौर गांव तलवण के संघोवाल में सतलुज नदी के बढ़ते जलस्तर ने भारी खतरे की स्थिति पैदा कर दी है. लगातार बारिश के कारण नदी के किनारे बनी बांध में दरार पड़ने का खतरा बढ़ गया है. ग्रामीणों और गांव के नौजवानों ने अपने स्तर पर बांध को बचाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं. इसी बीच नकोदर विधायक इंद्रजीत कौर मान बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए मौके पर पहुंचीं और बांध का जायजा लिया. इस दौरान किसान नेता के साथ उनकी बहस हो गई.
विधायक इंद्रजीत मान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रशासन हर समय लोगों के साथ खड़ा है और पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. प्रशासन ने मशीनों और मिट्टी के बोरियों के साथ बांध को मजबूत करने के लिए काम शुरू कर दिया है. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि मिलकर इस आपदा का सामना करें और सभी सुरक्षित रहें. विधायक ने किसानों और ग्रामीणों के साथ हालात का जायजा लिया और उनकी परेशानियों को समझने की कोशिश की.
विधायक और किसान नेता आमने सामने
हालांकि, इस दौरे के दौरान विधायक और किसान नेता आमने-सामने आ गए. किसान नेताओं ने कहा कि हर साल बाढ़ की स्थिति बनती है, इसलिए प्रशासन को पहले से बेहतर प्रबंध करने चाहिए थे. इसके जवाब में विधायक ने कहा कि हलके में पिछले दो साल से काम चल रहा है और दरिया के भीतर पत्थर का कार्य भी हो रहा है. इसी दौरान प्रधान और विधायक के बीच तीखी बहस हो गई. किसानों के सवालों पर विधायक गुस्सा हो गईं और प्रधान को मौके से जाने के लिए कह दिया.
बाढ़ में सेवा नहीं राजनीति कर रहे कुछ लोग- इंद्रजीत
विधायक ने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए इस मौके का फायदा उठाना चाहते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा उनके द्वारा किए जा रहे कामों पर कोई सवाल नहीं उठाएगा. इसके बाद उन्होंने प्रशासन से किसान नेताओं को स्थिति नियंत्रित करने के लिए हटाने को कहा. विधायक ने कहा कि पंजाब के हालात काफी खराब हैं और ऐसे समय में हरी पगड़ी पहनकर घूमने वाले लोग सेवा नहीं कर रहे हैं, बल्कि केवल दिखावा कर रहे हैं.
राजनीतिक विवादों से कामकाज हो रहा प्रभावित
इस दौरान स्थिति तनावपूर्ण हो गई और मौके पर मौजूद लोग घबराए हुए दिखाई दिए. प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों ने तुरंत स्थिति को संभालने की कोशिश की. ग्रामीणों ने कहा कि वह भी किसी तरह से मदद करना चाहते हैं, लेकिन राजनीतिक विवादों और आपसी आरोप-प्रत्यारोप के कारण कामकाज प्रभावित हो रहा है.
इस पूरी घटना ने पंजाब के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन और स्थानीय नेताओं के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया है. वहीं ग्रामीण और नौजवान अपने स्तर पर बांध को बचाने और सुरक्षित रहने के लिए पूरी कोशिश में जुटे हैं.
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