टैरिफ विवाद के बीच पीएम मोदी-पुतिन की मुलाकात के क्या मायने? सबकी टिकी थीं निगाहें

SCO समिट में भारत, चीन और रूस की तिकड़ी पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई थीं। ये तीनों देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर रहे हैं और अमेरिका के साथ खराब रिश्तों से गुजर रहे हैं। भारत के साथ भी अमेरिका के रिश्ते निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। चीन को लेकर भी खूब बयानबाजी हो चुकी है, साथ ही रूस पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करे। हालांकि अब ये तीनों एक साथ एक मंच पर पहुंचे, तो सबकी निगाहें इस मुलाकात पर ही टिकी हुई थीं।

चीन और अमेरिका के बीच विवाद

चीन और अमेरिका प्रतिद्वंदी हैं। दोनों के बीच कई बार टकराव देखने को मिला है। कुछ महीने पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री ने यहां तक कह दिया था कि हम चीन के छात्रों को यहां से निकाल देंगे और फिर उनका स्टूडेंट वीजा भी रद्द कर देंगे। इसके साथ ही व्यापार को लेकर भी दोनों के बीच तीखी बयानबाजी हुई थी। दोनों के बीच टैरिफ वॉर भी शुरू हुआ था लेकिन किसी तरह मामला संभल गया। अब ट्रंप पलट गए हैं और चीनी छात्रों के हित की बात कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि टैरिफ और अन्य तरीकों से हम चीन से बहुत अधिक पैसा ले रहे हैं। हम चीन के छात्रों को यहां आने से नहीं रोकेंगे।

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रूस और अमेरिका

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हर संभव कोशिश कर रहे हैं। वह पहले रूस को असहाय करने की कोशिश करते हैं, उस पर प्रतिबंध लगाते हैं, साथ ही रूस से कारोबार करने वाले देशों को धमकाते रहे हैं। इसके बावजूद युद्ध नहीं रुका। इसके बाद ट्रंप ने पुतिन से मुलाकात की और फिर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को मीटिंग के लिए अमेरिका बुलाया। उम्मीद जताई गई कि अब द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बैठकें करेंगे और युद्ध को रोकेंगे। हालांकि इसके बाद रूस ने यूक्रेन पर और तेजी से हमले किए, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और परेशान हो गए।

भारत के साथ अमेरिका का विवाद

भारत और अमेरिका के बीच विवाद की वजह रूस के साथ तेल का कारोबार बताई जा रही है लेकिन कई अन्य कारणों पर भी चर्चा हो रही है। डोनाल्ड ट्रंप बार-बार भारत-पाकिस्तान युद्ध रोकने का क्रेडिट लेते नजर आए, वहीं भारत उनके दावे नकारता रहा। इस बात से भी ट्रंप भारत से चिढ़ गए थे। इतना ही नहीं, दावा तो यह भी किया गया कि ट्रंप को भारत ने पाकिस्तान के साथ चल रहे युद्ध के दौरान मध्यस्थता करने की अनुमति नहीं दी थी। इस वजह से भी वह नाराज थे। हालांकि वह बार-बार कहते रहे कि भारत पर जुर्माना इसलिए लगाया गया है क्योंकि वह रूस के साथ तेल का कारोबार करके मुनाफा कमा रहा है और रूस को इससे फायदा मिल रहा है।

BRICS देशों पर लगाया था आरोप

ब्रिक्स देशों की बैठक के बाद डोनाल्ड ट्रंप भड़क गए थे। उन्होंने बार-बार दावा किया है कि इस समूह की स्थापना संयुक्त राज्य अमेरिका और विश्व की आरक्षित मुद्रा के रूप में डॉलर की भूमिका को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई थी। हालांकि ब्रिक्स नेताओं ने इस दावे को खारिज कर दिया है कि यह समूह अमेरिका विरोधी है। बताया गया कि यह समूह ब्रिक्स पे के रूप में एक करेंसी पर काम कर रहा है, जो स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और वित्तीय लेनदेन की सुविधा प्रदान करेगा। अमेरिका को डर है कि इससे उसकी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। बता दें कि पिछले साल ब्रिक्स समूह का विस्तार हुआ और इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ ही ईरान और इंडोनेशिया भी इसके सदस्य बन गए। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी।

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जिनपिंग-मोदी-पुतिन की मुलाकात के क्या मायने?

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच SCO समिट के दौरान जो केमिस्ट्री देखने को मिली, उसने अमेरिका को परेशान जरूर किया होगा। अगर ये तीनों एक साथ आ गए, तो अमेरिका को नुकसान पहुंचने की पूरी संभावना जताई जा रही है। चूंकि ये तीनों ही देश अमेरिका के निशाने पर रहे हैं, ऐसे में इनका मिलना अमेरिका के लिए नुकसानदायक खबर हो सकती है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत के साथ रिश्ते खराब करने के आरोप को लेकर अमेरिका में ही आलोचना हो रही है।

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