Teacher’s Day Week: पिछले कुछ सालों में जिस तरह शेयर बाजार ने प्रदर्शन किया है और रीटेल का पार्टिसिपेशन बढ़ा है, यह इस बात का सबूत है कि असेट क्लास के तौर पर इक्विटी पहली पसंद बन रहा है. शेयर बाजार में जोखिम जरूर है लेकिन अगर आपका नजरिया लॉन्ग टर्म का है तो यह आपके लिए वरदान बन सकता है. लॉन्ग टर्म निवेश के लिए SIP सबसे इफेक्टिव तरीका है यह डायरेक्ट स्टॉक में भी किया जा सकता है. हालांकि, किसी एक स्टॉक में लॉन्ग टर्म का नजरिया लेने से पहले 2 महत्वपूर्ण सवाल पूछना जरूरी है. पहला कि कंपनी कैसी है? दूसरा प्रमोटर कैसा है?
प्रमोटर अच्छा तो स्टॉक बनेगा वेल्थ क्रिएटर
टीचर्स डे स्पेशल वीक के तहत जी बिजनेस के खास कार्यक्रम CORPORATE GURU में हम उन तरीकों के बारे में जानेंगे जिनकी मदद से यह आसानी से पता चल सकता है कि कंपनी अच्छी है या नहीं और उसके प्रमोटर कितने एफिशिएंसट और अच्छे हैं. अगर कंपनी अच्छी है, ग्रोथ आउटलुक दमदार है और प्रमोटर भी विश्वसनीय और एफिशिएंट हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि लॉन्ग टर्म में आप वेल्थ क्रिएट कर पाएंगे. अगर इसमें कमी है तो इस बात की पूरी संभावना है कि आने वाले समय में बड़ी कंपनी भी अर्श से फर्श तक फिसल सकती है.
कैसे पता करें कि कंपनी अच्छी है या नहीं?
मार्केट गुरु अनिल सिंघवी से बातचीत में कॉर्पोरेट गुरु अनिल सिंघवी ने कहा कि सबसे पहले कंपनी का बिजनेस मॉडल समझें और फिर जानें कि प्रमोटर उस मॉडल में अच्छे से काम कर रहे हैं या नहीं. एग्जीक्यूशन और एफिशिएंशी दो महत्वपूर्ण फैक्टर होता है. अगर ये दोनों होगा तो कंपनी अपनी फुल कैपेसिटी से काम करेगी और निवेशकों को भी इसका फायदा मिलेगा.
Teacher’s Day Week स्पेशल…
ज़ी बिज़नेस ‘गुरुकुल’ में Corporate Guru
कैसे करें अच्छी कंपनी और अच्छे प्रमोटर्स की पहचान?
कंपनी के प्रमोटर अच्छा या बुरा, कैसे रखें ध्यान?
सीमेंट सेक्टर की बारीकियों को कैसे समझें?
Corporate Guru में अनिल सिंघवी से खास बातचीत #StockMarket… pic.twitter.com/MioeUQsaIb
— Zee Business (@ZeeBusiness) September 1, 2025
कैसे पता करें कि प्रमोटर अच्छे हैं या नहीं?
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कंपनी के बोर्ड मेंबर्स की लिस्ट देखें. अगर किसी कंपनी के बोर्ड में ज्यादातर लोग फैमिली मेंबर हैं और बाहर के लोगों का अधिकार लिमिटेड है तो किसी भी समय यह बैक-फायर कर सकता है. अगर कंपनी का बोर्ड रूम आपके बेडरूम की तरह बन जाए तो नॉन-एफिशिएंट और नॉन-कॉम्पिटेंट लोगों के हाथ में कमान होगी. इससे बचन चाहिए.
कैसे करें प्रमोटर की पहचान?
कंपनी में हेल्दी फाइनेंशियल डिसिप्लिन और गवर्नेंस का होना जरूरी है. अगर फाइनेंशियल डिसिप्लिन नहीं होगा तो ग्रोथ को उतना सपोर्ट नहीं मिलेगा. अगर कंपनी अच्छा मुनाफा बना रही है तो डिविडेंड यील्ड कितनी है यह भी इंपोर्टेंट है. अगर कंपनी अच्छा डिविडेंड देती है तो मतलब सभी निवेशकों को क्यूमलेटिव बेनिफिट देने का मकसद साफ होता है.
किन फैक्टर्स से मिलते हैं रेड सिग्नल?
अगर किसी कंपनी को लेकर 2-3-4 तिमाही तक लगातार कुछ-न-कुछ निगेटिव खबरें आ रही हैं तो उसपर कोई सवाल भी नहीं उठ रहा है तो इसका मतलब कंपनी का भविष्य सुरक्षित नहीं है. ऐसी कंपनियों से दूर रहने की जरूरत है. गवर्नेंस को लेकर किसी तरह का मसला प्रॉब्लम कर सकता है.
क्या विदेशी प्रमोटर अच्छे होते हैं?
ज्यादातर रीटेल निवेशकों का मानना होता है कि अगर प्रमोटर विदेशी हैं तो कंपनी ज्यादा क्रेडिबल है और उसका मैनेजमेंट ज्यादा अच्छा होगा. इस सवाल को लेकर कॉर्पोरेट गुरु ने कहा कि विदेशी प्रमोटर ने रूल्स का वॉयलेशन ज्यादा किया है. ऐसे में आंख मूंदकर इस बात को मानना गलत होगा.
पहले प्रमोटर देखो, फिर शेयर खरीदो
कुल मिलाकर अगर किसी कंपनी में प्रमोटर को लेकर किसी तरह की समस्या है तो इससे बचने की सलाह है. अगर प्रमोटर अच्छे हैं, और शेयर को आपने ऊपरी स्तर पर भी लिया है तो लॉन्ग टर्म में यह आपको मुनाफा कमाकर ही देगा. कम से कम आपका पैसा डूबेगा नहीं. ऐसी कंपनियों के शेयर वेल्थ क्रिएटर होते हैं. वहीं, अगर प्रमोटर अच्छे नहीं हैं तो सस्ता भाव का शेयर भी आपको डुबा सकता है. ऐसे स्टॉक्स में वेल्थ क्रिएट करना संभव नहीं है.
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