स्टॉक मार्केट (Stock Market) में कैंडलस्टिक चार्ट (Candlestick Patterns) एक खास तरीका है जिससे निवेशक और ट्रेडर यह समझने की कोशिश करते हैं कि शेयर की कीमत आगे किस दिशा में जाएगी. यह चार्ट हमें एक समय में शेयर के खुलने (ओपन), बंद होने (क्लोज), सबसे ऊपर (हाई) और सबसे नीचे (लो) जाने वाली कीमत दिखाता है.
हर एक कैंडल बताता है कि उस समय कितनी तेजी या कमजोरी थी. लेकिन क्या सिर्फ ये कैंडल देखकर पता चल जाता है कि शेयर के साथ आगे क्या होगा? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं.
कैंडलस्टिक चार्ट क्या है?
स्टॉक मार्केट में कैंडलस्टिक चार्ट उस समयावधि में किसी शेयर या एसेट के ओपनिंग, क्लोजिंग, हाई और लो प्राइस को दिखाता है. हर ‘कैंडल’ एक समय की कहानी कहती है. हरे या सफेद कैंडल का मतलब है कि कीमत बढ़ी, जबकि लाल या काले कैंडल का मतलब कीमत गिरी. कैंडल का मोटा हिस्सा बॉडी कहलाता है, जो ओपनिंग और क्लोजिंग प्राइस का फर्क बताता है, जबकि पतली लाइनें (विक्स/शैडो) दिन के हाई और लो प्राइस को दिखाती हैं.
कैंडल का इतिहास और विज्ञान
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कैंडलस्टिक चार्ट की शुरुआत 18वीं सदी में जापान में हुई थी. वहां चावल व्यापारी इसे इस्तेमाल कर मार्केट का मूड समझते थे. दरअसल, कैंडल का विज्ञान मांग और आपूर्ति की मनोविज्ञान पर आधारित है. खरीदार (बुल्स) और विक्रेता (बेयर्स) की खींचतान चार्ट पर पैटर्न के रूप में दिखती है. यही पैटर्न बार-बार दोहराने पर एक तरह का संकेत बनाते हैं, जो आने वाले रुझान (ट्रेंड) का अंदाजा देने में मदद करता है.
आम कैंडलस्टिक पैटर्न्स
- कैंडल पैटर्न कई तरह के होते हैं, लेकिन कुछ खास पैटर्न सबसे ज्यादा उपयोगी माने जाते हैं.
- हैमर (Hammer)- डाउनट्रेंड के बाद बनता है और बताता है कि अब मार्केट ऊपर जा सकता है.
- हैंगिंग मैन (Hanging Man)- अपट्रेंड के टॉप पर बनता है और बेचने का संकेत देता है.
- शूटिंग स्टार (Shooting Star)- ऊपर जाते हुए मार्केट में बनता है और गिरावट का अलर्ट देता है.
- बेयरिश एंगल्फिंग (Bearish Engulfing)- छोटी हरी कैंडल को बड़ी लाल कैंडल ढक लेती है, इसका मतलब है कि बिकवाली हावी है.
- राइजिंग/फॉलिंग थ्री (Rising/Falling Three)- यह पैटर्न बताता है कि चल रहा ट्रेंड और कुछ समय जारी रहेगा.
क्या कैंडल सच में भविष्य बता सकती है?
कई रिसर्च और ट्रेडिंग स्टडीज में पाया गया है कि कैंडलस्टिक पैटर्न्स की सटीकता 100% सही तो नहीं, लेकिन कुछ हद तक सही हो सकती है. यानी यह निश्चित भविष्यवाणी नहीं करते, लेकिन प्रॉबेबिलिटी (संभावना) दिखाते हैं. हालांकि, यह तब ज्यादा असरदार होते हैं जब मार्केट ट्रेंडिंग या वोलैटाइल हो.
मार्केट कॉन्टेक्स्ट की अहमियत
कैंडल अकेले ही भविष्यवाणी का पूरा आधार नहीं हो सकता. अगर मार्केट साइडवेज़ या बहुत शांत है, तो पैटर्न्स गलत सिग्नल भी दे सकते हैं. इसलिए प्रोफेशनल ट्रेडर्स कैंडल्स को वॉल्यूम, मूविंग एवरेज, सपोर्ट-रेसिस्टेंस लेवल और अन्य टेक्निकल इंडिकेटर्स के साथ मिलाकर देखते हैं. इससे गलतियों का खतरा कम होता है.
सीमाएं और सावधानियां
कैंडलस्टिक एनालिसिस के बावजूद कुछ सीमाएं हमेशा रहेंगी. जैसे-
यह सिर्फ संभावनाएं बताता है, गारंटी नहीं देता.
मैक्रो फैक्टर्स, कंपनी न्यूज और ग्लोबल घटनाएं कभी भी पैटर्न्स को तोड़ सकती हैं.
यह ज्यादा शॉर्ट-टर्म फोकस्ड है, लॉन्ग-टर्म निवेशक के लिए उतना उपयोगी नहीं.
मशीन लर्निंग मॉडल ओवरफिटिंग का शिकार हो सकते हैं, यानी गलत सिग्नल भी दे सकते हैं.
खबर से जुड़े 5 FAQs
Q1. क्या सिर्फ कैंडल देखकर शेयर का भविष्य बताया जा सकता है?
नहीं, कैंडल पैटर्न्स संभावनाएं दिखाते हैं, लेकिन 100% गारंटी नहीं देते.
Q2. कैंडल पैटर्न की सफलता दर कितनी होती है?
आमतौर पर 50% से 60% तक, पैटर्न और मार्केट कॉन्टेक्स्ट पर निर्भर करता है.
Q3. क्या कैंडल एनालिसिस लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए सही है?
यह ज्यादा शॉर्ट-टर्म और ट्रेडिंग के लिए उपयोगी है. लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को फंडामेंटल एनालिसिस पर ध्यान देना चाहिए.
Q4. क्या मशीन लर्निंग से कैंडल्स की सटीकता बढ़ सकती है?
हां, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीप लर्निंग मॉडल्स ने कैंडल एनालिसिस को और मजबूत बना दिया है.
Q5. कैंडल चार्ट को कैसे पढ़ना शुरू करें?
सबसे पहले बेसिक पैटर्न्स (हैमर, शूटिंग स्टार, एंगल्फिंग) सीखें और धीरे-धीरे वॉल्यूम और मूविंग एवरेज के साथ उन्हें जोड़ना शुरू करें.
(डिस्क्लेमर- यह खबर केवल जानकारी के उद्देश्य से है. इसमें बताए गए पैटर्न या तकनीकी संकेत निवेश की गारंटी नहीं हैं. स्टॉक मार्केट में निवेश जोखिमों के अधीन है. कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर करें.)
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