भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है. 8 दिसंबर 2025 से इक्विटी डेरिवेटिव्स (F&O) सेगमेंट में भी प्री-ओपन सेशन की शुरुआत होगी. अब तक यह सुविधा सिर्फ कैश मार्केट तक सीमित थी, लेकिन बीएसई (BSE) ने अपने सर्कुलर के ज़रिए इस बड़े बदलाव की घोषणा कर दी है.
इस फैसले से न केवल बाजार की पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि निवेशकों को सही स्तर पर एंट्री और एग्जिट का मौका भी मिलेगा. खास बात यह है कि यह कदम ज़ी बिज़नेस की लगातार मांग के बाद उठाया गया है.
अनिल सिंघवी की लगातार अपील
ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने कई मौकों पर यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. उनका कहना था कि अब तक प्री-ओपन सेशन सिर्फ कैश मार्केट तक सीमित था, जबकि F&O में इसकी सख्त जरूरत थी. उन्होंने बताया कि लिक्विडिटी कम होने के कारण शुरुआती मिनटों में सही प्राइस डिस्कवरी नहीं हो पाती.
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नतीजतन, बाजार खुलते ही इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स के भाव तेजी से बदल जाते हैं. हाल ही में निफ्टी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि निफ्टी 24,700 पर खुला और महज़ 2-3 मिनट में ही 24,650 के नीचे आ गया. सिंघवी का मानना है कि F&O में प्री-ओपन लागू होने से अब यह समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी और निवेशकों को अधिक भरोसेमंद प्राइस मिलेगा.
BSE का नया सर्कुलर
बीएसई ने अपने सर्कुलर में साफ किया है कि यह बदलाव सेबी (SEBI) के निर्देशों के बाद लागू किया जा रहा है. सेबी का सर्कुलर 29 मई 2025 को जारी हुआ था, जिसके बाद 4 जून 2025 को एक्सचेंज ने इसे लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए.
सर्कुलर के मुताबिक, 8 दिसंबर 2025 से इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में प्री-ओपन सेशन शुरू होगा. इसके लिए एक्सचेंज को किसी नए API या मार्केट डेटा ब्रॉडकास्ट स्ट्रक्चर में बदलाव करने की जरूरत नहीं होगी. बीएसई ने स्पष्ट किया है कि कैश मार्केट में पहले से जो मेसेज स्ट्रक्चर और फील्ड डिफिनिशन लागू हैं, वही डेरिवेटिव्स में भी इस्तेमाल होंगे.
टेस्टिंग और तकनीकी तैयारी
BSE ने बताया कि इस नए बदलाव को लागू करने से पहले 6 अक्टूबर 2025 से इसकी टेस्टिंग शुरू हो जाएगी. यह टेस्टिंग सिमुलेशन एनवायरनमेंट में होगी, जिसमें ट्रेडिंग मेंबर्स और थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन वेंडर्स को शामिल किया जाएगा.
एक्सचेंज ने सभी वेंडर्स और मेंबर्स से आग्रह किया है कि वे अपनी एप्लिकेशंस में आवश्यक बदलाव करें और टेस्टिंग पूरी करें, ताकि 8 दिसंबर को इसे बिना किसी रुकावट के लागू किया जा सके. बाकी तकनीकी जानकारियां और दिशा-निर्देश बीएसई अलग से सर्कुलर जारी कर बताएगा.
निवेशकों को होगा सीधा फायदा
प्री-ओपन सेशन का सबसे बड़ा फायदा निवेशकों को सही प्राइस डिस्कवरी के रूप में मिलेगा. शुरुआती मिनटों में अक्सर देखा जाता है कि भाव तेजी से ऊपर-नीचे होते हैं, जिससे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता है.
प्री-ओपन सेशन लागू होने के बाद यह समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी. इससे बाजार की पारदर्शिता बढ़ेगी और निवेशकों को सही समय पर खरीद और बिक्री के मौके मिलेंगे. इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स में स्थिरता आने से बड़े निवेशक ही नहीं, रिटेल इन्वेस्टर्स का भरोसा भी बढ़ेगा.
आगे की संभावनाएं
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह बदलाव बाजार के लिए मील का पत्थर साबित होगा. हालांकि, अब जरूरत इस बात की है कि इसके साथ पोस्ट-क्लोजिंग सेशन भी शुरू किया जाए. मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने इस पर ज़ोर देते हुए कहा कि जब प्री-ओपन लागू किया जा सकता है, तो पोस्ट-क्लोजिंग सेशन भी जल्द ही लागू होना चाहिए. इससे दिनभर के कारोबार के बाद सही डेटा और प्राइस डिस्कवरी को और बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा.
खबर से जुड़े 5 FAQs
Q1. प्री-ओपन सेशन क्या होता है?
Ans: प्री-ओपन सेशन वह समय होता है जब बाजार खुलने से पहले खरीद और बिक्री के ऑर्डर मिलाकर सही शुरुआती प्राइस तय किया जाता है.
Q2. अब यह बदलाव कहां लागू होगा?
Ans: 8 दिसंबर 2025 से इक्विटी डेरिवेटिव्स यानी इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स में भी प्री-ओपन लागू होगा.
Q3. निवेशकों को इससे क्या फायदा होगा?
Ans: शुरुआती मिनटों में सही प्राइस डिस्कवरी होगी, अचानक तेज़ उतार-चढ़ाव से बचाव मिलेगा और ट्रेडिंग ज्यादा स्थिर होगी.
Q4. टेस्टिंग कब से शुरू होगी?
Ans: 6 अक्टूबर 2025 से प्री-ओपन सेशन की टेस्टिंग सिमुलेशन एनवायरनमेंट में शुरू होगी.
Q5. क्या आगे और बदलाव होंगे?
Ans: एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में पोस्ट-क्लोजिंग सेशन भी लागू किया जा सकता है.
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