Rahu-Ketu Planet: हिंदू ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक राहु और केतु एक छाया ग्रह है. ये भौतिक रूप से दिखाई नहीं देते है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत बांटा जा रहा था, तब एक असुर ने छल से अमृत पान कर लिया था.
जिसके बाद भगवान विष्णु ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु कहलाया. तभी से राहु-केतु दो छाया ग्रह बन गए. ज्योतिषशास्त्र में दोनों ही ग्रहों का काफी महत्व होता है.
राहु-केतु के अशुभ प्रभाव |
कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ होने से व्यक्ति को मन अस्थिर, चिंता और भ्रम का सामना करना पड़ सकता है. |
राहु भोग-विलास और मायाजाल का प्रतीक होता है. इसकी अशुभ दृष्टि से व्यक्ति गलत फैसले लेने के लिए प्रेरित होता है. |
राहु-केतु की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति की संगत गलत लोगों से हो सकती है. इसके साथ ही समाज में मान-सम्मान की कमी होती है. |
कुंडली में केतु की अशुभ स्थिति से व्यक्ति के रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. रिश्तों में दूरी होने के साथ कटुता भी आती है. |
केतु मोक्ष और अध्यात्म का कारक होता है, लेकिन अशुभ स्थिति से व्यक्ति अपना मार्ग भटक भी सकता है. |
राहु-केतु की अशुभ स्थिति से व्यक्ति को धन हानि के साथ काम में असफलता का भी सामना करना पड़ सकता है. |
राहु-केतु का पुराणों में भी जिक्र
- पुराणों मं राहु-केतु को ग्रहण का मुख्य कारण माना जाता है. जब सूर्य और चंद्रमा पर इनकी छाया पड़ती है तो सूर्य और चंद्र ग्रहण लगता है.
- गरुड़ पुराण और स्कंद पुराण में इनकी पूजा और शांति विधान का तरीका बताया गया है.
- माना जाता है कि राहु-केतु के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए.
राहु से जुड़े उपाय
राहु जब बुरा समय लाता है तो ये आपको भौतिक वस्तुओं की तरफ खींचता है. इसमें नाम, पैसा, वासना, लालच और भ्रम शामिल है. राहु को संतुलित करने के लिए नारियल का दान करें और मिट्टी में चलें. इसके साथ ही ऊँ राम राहवे नम: मंत्र का जाप करना चाहिए.
केतु से जुड़े उपाय
केतु नुकसान के लिए जिम्मेदार है. केतु तुम्हें बार-बार पुरानी बातों को लेकर पछतावा दिलाता है. तुम्हें अंदर से कमजोर बनाता है. केतु को संतुलित करने के लिए मौन व्रत, ध्यान और रुद्राक्ष पहनना चाहिए. इसके साथ ही ऊँ केतवे नम: मंत्र का जाप करें.
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