भारतीय चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बताया कि बिहार में मतदाताओं से मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने के लिए 84,305 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जबकि राजनीतिक दलों की ओर से सिर्फ 2 आपत्तियां प्राप्त हुई हैं. बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के बाद, मतदाता सूची का प्रारूप जारी कर दिया गया है. यह सूची चुनाव आयोग जरिए कराए गए एसआईआर के बाद तैयार की गई है.
‘बीएलओ ने घर-घर जाकर मतदाताओं की जांच की’
पुनरीक्षण के दौरान, बीएलओ ने राज्य भर में घर-घर जाकर मतदाताओं की जांच की, जिसके बाद लाखों मृत और प्रवासी मतदाताओं की जानकारी सामने आई, जिनके नाम मतदाता सूची से काट दिए गए. हालांकि चुनाव आयोग अब इनकी लिस्ट जिलावार जारी कर रहा है. किसी निर्वाचन क्षेत्र के गैर-मतदाता भी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं, बशर्ते वे मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(बी) के तहत घोषणा प्रस्तुत करें.
चुनाव आयोग ने दैनिक बुलेटिन जारी करते हुए बताया कि कुल 84,305 आवेदनों में से, 6,092 का निपटारा निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) ने कर दिया है. ईसीआई ने कहा कि सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अब तक एकमात्र पार्टी है जिसने मसौदा मतदाता सूची के संबंध में दो शिकायतों के साथ आपत्तियां दर्ज कराई हैं.
आयोग ने जोर देकर कहा कि बार-बार अपील के बावजूद, राजनीतिक दलों ने संशोधन प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया है. दैनिक बुलेटिन के अनुसार, एक अगस्त से विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले 2,63,257 नए मतदाताओं ने मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए आवेदन किया है.
आयोग ने मतदाताओं, दलों और उनके 1.6 लाख बूथ-स्तरीय एजेंटों (बीएलए) को त्रुटियों को चिन्हित करने के लिए एक महीने का समय दिया है। फिलहाल, दावे और आपत्तियों की समय सीमा समाप्त होने में सिर्फ 10 दिन बाकी हैं. 1 अगस्त को शुरू हुई दावे और आपत्तियों की यह विंडो 1 सितंबर तक खुली रहेगी.
छूटे हुए मतदाता 1 सितंबर तक फॉर्म 6 दाखिल कर सकते हैं
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि छूटे हुए कोई भी पात्र मतदाता 1 सितंबर तक आधार के साथ फॉर्म 6 दाखिल कर सकते हैं, जबकि अपात्र नामों को शामिल करने पर आपत्ति संबंधित विधानसभा क्षेत्र के किसी भी मतदाता द्वारा फॉर्म 7 के माध्यम से दर्ज की जा सकती है. मान्यता प्राप्त दलों के बीएलए भी मतदाताओं की ओर से फॉर्म 6 और 7 दाखिल कर सकते हैं.
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