VIDEO-अमिताभ ठाकुर ने चुनाव आयुक्तों के अधिकार को हाईकोर्ट में दी चुनौती

लखनऊ। आजाद अधिकार सेना (Azad Adhikar Sena) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर (National President Amitabh Thakur) ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के लखनऊ बेंच (Lucknow Bench) में याचिका दायर कर मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा अन्य निर्वाचन आयुक्त अधिनियम 2023 की धारा 16 को चुनौती (Challenge to Section 16 of Election Commissioner Act 2023) दी है।

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अमिताभ ठाकुर (Amitabh Thakur)ने कहा है कि इस अधिनियम की धारा 16 में चुनाव आयुक्त को अपने सभी कार्यों तथा शब्दों के लिए सभी प्रकार के सिविल और आपराधिक बात से पूरी तरह छूट मिली हुई है और उन पर इस दौरान के कार्यों के लिए कोई सिविल और आपराधिक वाद नहीं चल सकता है।

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उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और हाई कोर्ट जज सहित किसी भी अन्य प्राधिकारी को इस प्रकार की पूरी छूट और सुरक्षा नहीं दी गई है। अतः उन्होंने इसे मनमाना तथा संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत बताते हुए हाई कोर्ट से इस अधिनियम की धारा 16 को निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है।

लोकतंत्र की हत्या के काले कानून के खिलाफ कल जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करेगी आजाद अधिकार सेना

आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर (National President Amitabh Thakur) ने 30 दिनों से अधिक जेल में रहने पर खुद पद से हटाए जाने विषयक भाजपा द्वारा लोकतंत्र की हत्या की कोशिश के लिए लाए जाने वाले काले कानून के खिलाफ द्वारा कल 22 अगस्त शुक्रवार को प्रत्येक जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया।

आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने आज बताया कि उनकी पार्टी केंद्र सरकार द्वारा 30 दिन जेल में रहने वाले संवैधानिक पदाधिकारी के खुद ही पद से हट जाने विषयक कानून के विरोध में कल  विभिन्न जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति को प्रत्यावेदन देगी। उन्होंने कहा कि ये कानून मूल रूप से वे काले कानून हैं, जिनके माध्यम से भाजपा विपक्षियों और समर्थक दलों पर अवैधानिक ढंग से काबू करना चाहती है।

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि भाजपा इसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध खिलाफ आक्रमण और राजनीति में नैतिकता लाए जाने वाले कानून के रूप में प्रस्तुत कर रही है। इसके विपरीत हम सभी जानते हैं कि भाजपा द्वारा इन कानून को लाने का मुख्य उद्देश्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर गैर कानूनी ढंग से हमला करना और अपने समर्थक दल के नेताओं को काबू में रखना है। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य प्रमाण यह है कि आज तक भाजपा के शासनकाल में जितने भी नेताओं पर कार्रवाई हुई, वे सभी विपक्षी दल के थे या वे लोग थे जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी छोड़ी। इसके विपरीत जो भी नेता भाजपा में शामिल हुआ, उस पर पूर्व से चल रहे सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स या कोई भी अन्य कानूनी कार्यवाही समाप्त हो गई।

सत्यावेदन में राष्ट्रपति से लोकतंत्र की रक्षा के लिए इन विधेयकों पर हस्ताक्षर ना कर के इन्हें सम्यक परीक्षण के लिए वापस संसद में भेजे जाने का अनुरोध किया जायेगा।

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