सोशल मीडिया पर इजहार करने से क्यों बचते हैं सच्चे आशिक? ये स्टडी पढ़कर समझ आ जाएगी बात

 मख़मूर देहलवी का शेर है कि “मोहब्बत हो तो जाती है मोहब्बत की नहीं जाती, ये शोला ख़ुद भड़क उठता है भड़काया नहीं जाता”. खैर आजकल ज्यादातर लोग मानते हैं कि रिलेशनशिप तभी असली है जब उसे सोशल मीडिया पर दिखाया जाए. कोई हाथ पकड़कर ली गई फोटो, दो ड्रिंक्स वाली टेबल की तस्वीर या फिर रोमांटिक कैप्शन के साथ पोस्ट.  इन सबको लोग प्यार का पैमाना मानते हैं. लेकिन रिसर्च और एक्सपर्ट्स की राय कुछ और ही कहती है.

कम पोस्ट करने वाले कपल ज़्यादा खुश

स्टडीज बताती हैं कि जो कपल्स असल जिंदगी में सच में खुश रहते हैं, वे अक्सर सोशल मीडिया पर अपने रिश्ते के बारे में कम शेयर करते हैं. उन्हें दुनिया को प्रूव करने की ज़रूरत नहीं होती. वे लाइक्स और कमेंट्स से ज़्यादा अपने पार्टनर के साथ वक्त बिताने को अहमियत देते हैं. ऐसे कपल्स ज़्यादा क्लोज फील करते हैं, बेहतर कम्युनिकेशन रखते हैं और उनका रिश्ता मजबूत होता है.

क्वैकक्वैक ऐप के फाउंडर रवि मित्तल का कहना है कि खुश कपल्स कई बार इसलिए पोस्ट नहीं करते क्योंकि वे असल जिंदगी के पलों में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें सोशल मीडिया याद ही नहीं आता. वहीं, कुछ कपल्स रिश्ते को नज़र लगने या अनचाहे कमेंट से बचाने के लिए भी प्राइवेट रखना पसंद करते हैं.

पब्लिक वर्सेज प्राइवेट लव

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जो कपल्स हर बात सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करते, वे कम स्ट्रेस महसूस करते हैं. उन्हें बाहरी वैलिडेशन की परवाह नहीं होती, इस वजह से वे अपने रिश्ते को पोसिटिव तरीके से ग्रो करने पर ध्यान देते हैं. मुंबई की काउंसलर प्रियंका कपूर बताती हैं कि कई कपल्स फोटो क्लिक करने तक की फिक्र नहीं करते, वे बस एक-दूसरे के साथ खुश रहना चाहते हैं.

रिलेशनशिप एक्सपर्ट शाहजीन शिवदसानी के अनुसार, जरूरत से ज़्यादा शेयरिंग से बॉन्डरीज टूटती हैं, बाहर वालों की राय दखल देती है और बार-बार तुलना शुरू हो जाती है. इससे रिलेशनशिप की संतुष्टि घट सकती है.

जब शक हावी हो जाता है

अकसर असुरक्षा या रिश्ते की अंदरूनी परेशानी को छिपाने के लिए लोग सोशल मीडिया पर “परफेक्ट कपल” वाली इमेज क्रिएट करते हैं. एक सेल्फी या रोमांटिक पोस्ट उन्हें अंदर से राहत देता है, लेकिन असल में ये केवल परफॉरमेंस बनकर रह जाता है. यही नहीं, ज़्यादा लाइक्स मिलने की आदत लत में भी बदल सकती है. डॉ इस मामले में कहते हैं कि जिन लोगों की सेल्फ-एस्टीम कम होती है, वे सोशल मीडिया से बाहरी सहारा ढूंढते हैं. ऐसा करने से दिखावा तो परफेक्ट लगता है, लेकिन अंदर ही अंदर रिश्ता और कमजोर हो सकता है.

असली कनेक्शन कैसे बनेगा?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि जितना कम आप दूसरों से तुलना करेंगे और जितना कम एक्सटर्नल वैलिडेशन चाहेंगे, उतना ही रिलेशनशिप मजबूत होगा. असली प्यार रोजमर्रा के छोटे-छोटे पलों में होता है, न कि केवल फोटोज और कैप्शन में.

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