अमेरिकी सलाहकार ने कहा भारत को हथियार बेचना जोखिम भरा

नई दिल्ली। अमेरिका और भारत के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका को भारत की रूस और चीन से बढ़ती हुई दोस्ती खटक रही है। अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि रूस और चीन से भारत की दोस्ती बढ़ रही है, इन परिस्थितियों में भारत को हथियार बेचना जोखिम भरा हो गया है। वहीं, भारत ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि तेल खरीद के मुद्दे पर उसे गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है।

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व्हाइट हाउस के व्यापारिक मामलों के सलाहकार पीटर नवारो ने भारत के रुख पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा नई दिल्ली अब रूस और चीन, दोनों के करीब जा रहा है। अगर भारत चाहता है कि हम उसके साथ एक रणनीतिक साझेदार जैसा व्यवहार करें, तो उसे वैसे काम भी करने चाहिए। नवारो ने आगे लिखा कि भारत रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक बनकर उसे महंगे उत्पादों में बदल रहा है और मॉस्को को डॉलर मुहैया करा रहा है, जिसकी उसे सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि रूस और चीन के साथ भारत के यही करीबी रिश्ते अमेरिकी सैन्य क्षमताओं को भारत को सौंपना जोखिम भरा बनाते हैं।

भारत के रूसी तेल खरिदने से चिढ़ता है अमेरिका

इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई मौकों पर रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत की आलोचना कर चुके हैं। ट्रंप ने भारत पर दो बार 25-25 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगाया था और इसकी वजह ब्रिक्स देशों से अमेरिका को होने वाले व्यापार घाटे को बताया था। भारत ने अमेरिकी आपत्तियों पर हमेशा की तरह सधा हुआ और दृढ़ जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है। भारत ने अमेरिका को यह भी याद दिलाया कि वह अकेला खरीदार नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश भी रूस से बड़ी मात्रा में सामान और ऊर्जा का आयात कर रहे हैं। जब एक पत्रकार ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप से इस बारे में सवाल किया था, तो वह भी इसका सीधा जवाब देने से बचते नजर आए थे।

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