Shukra And Budh gochar in kark rashi: भारत की स्वतंत्रता कुंडली का स्वरूप और वर्तमान ग्रह स्थिति 15 अगस्त 1947 समय 00:00 बजे स्थान दिल्ली, भारत की स्वतंत्रता कुंडली वृषभ लग्न की है, जिसमें राहु लग्न में, मंगल मिथुन में, और सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, शनि पांचों ग्रह एक साथ कर्क राशि में स्थित हैं.
शुक्र और बुध का कर्क राशि (तीसरे भाव) में युति होना विपक्ष को बल देगा. इस दौरान विपक्षी दल नए गठबंधन बनाकर सरकार पर दबाव बनाएंगे. बृहत्संहिता के अनुसार जब बुध-शुक्र एक साथ होते हैं तो शासक पक्ष को विपक्ष की तीखी आलोचना झेलनी पड़ती है.
मीडिया और जनआंदोलन का उभार
- तीसरे भाव में बुध-शुक्र युति जनता और मीडिया की आवाज को प्रबल बनाती है.
- नारद संहिता कहती है कि इस योग से “जनक्षोभं प्रवर्तयेत्” जनता असंतुष्ट होकर आंदोलन की ओर प्रवृत्त होती है.
- इस अवधि में मीडिया, सोशल मीडिया और जनआंदोलन सरकार की नीतियों के खिलाफ तेज़ हो सकते हैं.
पड़ोसी देशों के साथ संबंध और कूटनीति
- तीसरे भाव का संबंध पड़ोसी देशों से है.
- शुक्र और बुध की युति से भारत और पड़ोसियों (विशेषकर चीन व पाकिस्तान) के बीच किसी नए समझौते या वार्ता की संभावना बनेगी.
- लेकिन साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव और टकराव की घटनाएँ भी सुर्खियों में रहेंगी.
महिला और युवा मुद्दे प्रमुख रहेंगे
- शुक्र स्त्री वर्ग और बुध युवा वर्ग का कारक है.
- तीसरे भाव में इनकी युति महिलाओं से जुड़े मुद्दों और छात्र-युवा आंदोलनों को प्रमुख बनाएगी.
- इस दौरान महिला सुरक्षा, महिला नेतृत्व और छात्र संगठनों से जुड़ी घटनाएँ राजनीति में चर्चा का विषय बनेंगी.
आर्थिक और व्यापारिक उतार-चढ़ाव
- शुक्र आर्थिक नीतियों और व्यापार का सूचक है.
- इस दौरान आर्थिक सुधार, विदेशी निवेश और व्यापार से जुड़े बड़े फैसले हो सकते हैं.
- लेकिन जनता की प्रतिक्रिया मिश्रित रहेगी और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा.
शनि का गोचर-कुंभ से मीन (अक्टूबर 2025 से)
- शनि भारत की कुंडली के 12वें भाव में प्रवेश करेगा.
- यह स्थिति सरकार को विदेश नीति, रक्षा और आंतरिक सुरक्षा पर भारी खर्च करने के लिए बाध्य करेगी.
- सत्ता पक्ष पर दबाव और जनता में असंतोष दोनों बढ़ेंगे.
राहु-केतु का परिवर्तन-कुंभ व सिंह (अक्टूबर–नवंबर 2025)
- राहु का कुम्भ (10वां भाव-शासन) में प्रवेश और केतु का सिंह (4था भाव-जनता) में प्रवेश राजनीति के लिए सबसे बड़ा संकेत है.
- इससे सत्ता पक्ष में अस्थिरता, विवाद और नेतृत्व संकट उत्पन्न हो सकता है.
- जनता में असंतोष और बड़े पैमाने पर आंदोलन की स्थिति भी बनेगी.
गुरु (बृहस्पति) वृषभ लग्न में
- पूरे 2025 में गुरु वृषभ लग्न में रहकर भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान और आर्थिक अवसर दिलाएगा.
- विदेशी निवेश, तकनीकी प्रगति और शिक्षा क्षेत्र में सुधार संभव है.
- लेकिन राहु-केतु और शनि की स्थिति इस लाभ को स्थिर नहीं रहने देगी.
गठबंधन की राजनीति और टूट-फूट
- नारद संहिता के अनुसार राहु जब सत्ता भाव (10वें) में आता है तो शासक दल में टूट-फूट होती है.
- अक्टूबर–दिसम्बर 2025 के बीच सत्ता पक्ष में असहमति, दल-बदल और विपक्ष के गठबंधन की मजबूती दिखेगी.
- राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव संभव है.
जनता और आंदोलनों का असर
- केतु का 4थे भाव में प्रवेश जनता की असंतुष्टि को चरम पर ले जाएगा.
- किसानों, छात्रों, बेरोजगारी और महँगाई से जुड़े मुद्दों पर बड़े जनांदोलन हो सकते हैं.
- सरकार को इन्हें संभालना कठिन होगा और विपक्ष इसका लाभ उठाएगा.
समग्र निष्कर्ष (अगस्त से दिसंबर 2025)
- अगस्त–सितम्बर में मीडिया बहस, विपक्षी सक्रियता और जनता का शोर राजनीति पर हावी रहेगा.
- अक्टूबर–दिसम्बर में शनि और राहु-केतु परिवर्तन से सत्ता पक्ष पर गहरा संकट, अस्थिरता और जनता का असंतोष बढ़ेगा.
- गुरु लग्न में होने से अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और अर्थव्यवस्था को कुछ सहारा मिलेगा, लेकिन घरेलू राजनीति में उथल-पुथल जारी रहेगी.
- महिला, युवा, किसान और बेरोजगारी जैसे मुद्दे राजनीति का केंद्र बनेंगे.
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