इन दिनों जीएसटी (GST) को लेकर रोज़ नई खबरें हैं, सरकार किस वस्तु पर टैक्स घटाएगी, किस पर बढ़ाएगी. ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो टैक्स और राजकोषीय नीतियां सीधा असर ग्रहों की स्थिति से लेती हैं. बृहत्पाराशर होरा शास्त्र में कहा गया है,
राष्ट्रस्य वित्तं च राजकीयं कार्यं च ग्रहस्थित्या व्याख्यायते.
(अर्थ: राष्ट्र का वित्त और राजकीय नीतियाँ ग्रहों की स्थिति से समझी जा सकती हैं.)
ग्रहों का आर्थिक संकेत- ज्योतिष में सूर्य को विशेष स्थान प्राप्त है. सूर्य ही सभी ग्रहों के राजा है. ये सत्ता के कारक है. सूर्य कैसे प्रभावित करते हैं, समझते हैं-
- सूर्य (राजसत्ता और कर व्यवस्था का कारक)
- सूर्य जब मजबूत होता है तो शासन कर प्रणाली को सख्त करता है.
- वर्तमान में सूर्य सिंह राशि (स्वराशि) में है, जिससे सरकार का टैक्स पर नियंत्रण बढ़ेगा.
- लक्जरी और राजसी वस्तुओं (गोल्ड, कीमती सामान) पर टैक्स सख्त हो सकता है.
चंद्र (जनता और उपभोग का कारक)
- चंद्रमा के गोचर से जनता के उपभोग और रोज़मर्रा की वस्तुओं की स्थिति तय होती है.
- जब चंद्रमा शुभ स्थिति में होता है, तो खाद्य पदार्थ, दूध-दही, दाल-चावल जैसी वस्तुओं पर राहत मिल सकती है.
- बृहत्संहिता में कहा गया है कि चंद्रमा का शुभ योग अन्न-वृद्धि कराता है.
बुध (व्यापार, बाज़ार और संचार का कारक)
- बुध का प्रभाव सीधा व्यापार और बाजार पर होता है.
- अभी बुध सिंह में सूर्य के साथ है,इससे डिजिटल सेवाओं, मोबाइल-इंटरनेट, और शिक्षा टेक्स में उतार-चढ़ाव होगा.
- क्योंकि सिंह राशि शक्ति और राजनीति है. बुध ग्रह व्यापार का कारक है इसलिए शासन-निर्णय आधारित व्यापारिक टैक्स बढ़ सकते हैं.
मंगल (ऊर्जा, परिवहन और पेट्रोलियम)
- मंगल जब आक्रामक स्थिति में होता है तो ऊर्जा स्रोत और ट्रांसपोर्ट महंगे होते हैं.
- आने वाले महीनों में मंगल तुला राशि से गुज़रेगा, जिससे ईंधन, परिवहन और गाड़ियों पर टैक्स बढ़ने का संकेत है.
शुक्र (उपभोग और विलासिता)
- शुक्र उपभोक्ता सुख और विलासिता का कारक है.
- जब शुक्र कर्क/सिंह में होता है तो कॉस्मेटिक्स, फैशन, मनोरंजन, होटल-रेस्तरां महंगे होते हैं.
- फलदीपिका कहता है, शुक्रस्य दोषे विलासं दारिद्र्यं च. (अर्थात शुक्र की अशुभ स्थिति विलासिता में खर्च बढ़ाती है.)
राहु-केतु (अचानक नीतिगत बदलाव और अंतरराष्ट्रीय दबाव)
- राहु जब मीन राशि में और केतु कन्या में है, तो अचानक नीति परिवर्तन होते हैं.
- इसका असर विदेशी निवेश और आयातित वस्तुओं पर पड़ता है, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, गैजेट्स और हाई-टेक मशीनें महंगी हो सकती हैं.
- साथ ही राहु-केतु का असर सरकार को अप्रत्याशित घोषणाएं करने को मजबूर करता है.
गुरु (नीति और अर्थव्यवस्था का विस्तारक)
- गुरु मिथुन में है, और यह संचार, शिक्षा और व्यापार में सुधार का संकेत देता है.
- शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में टैक्स राहत की संभावनाएं हैं.
शनि (नियम, अनुशासन और टैक्स की स्थिरता)
- शनि मीन राशि में है,यह नीति को कठोर भी बनाता है और पारदर्शिता भी लाता है.
- सरकार बड़े उद्योग और लक्ज़री सामान पर टैक्स बोझ डाल सकती है, जबकि गरीब वर्ग को राहत देने की कोशिश होगी.
संभावित रूप से क्या सस्ता होगा?
- दाल, चावल, दूध जैसी रोजमर्रा की चीज़ें (चंद्रमा का सकारात्मक प्रभाव)
- शिक्षा व डिजिटल सेवाएं (गुरु और बुध का प्रभाव)
- स्वास्थ्य से जुड़ी वस्तुएं (गुरु का प्रभाव)
संभावित रूप से क्या महंगा होगा?
- पेट्रोल, डीज़ल, परिवहन (मंगल का प्रभाव)
- सोना, कॉस्मेटिक्स, होटल-रेस्तरां (शुक्र का प्रभाव)
- इलेक्ट्रॉनिक्स और लग्ज़री कारें (राहु-केतु का प्रभाव)
शास्त्रीय प्रमाण और लॉजिक
- बृहत्संहिता (अध्याय 2): ग्रहों के प्रभाव से राजसत्ता कर व्यवस्था बदलती है.
- फलदीपिका (अध्याय 7): शुक्र और बुध के दोष से विलासिता की वस्तुएं महंगी होती हैं.
- बृहत्पाराशर होरा शास्त्र: चंद्र अन्न का, मंगल इंधन का, शुक्र विलासिता का और शनि कर का कारक है.
देश-दुनिया पर असर
- भारत: रोज़मर्रा की वस्तुओं पर थोड़ी राहत, लेकिन पेट्रोल और इलेक्ट्रॉनिक्स महंगे.
- वैश्विक स्तर: राहु-केतु का असर बताता है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और आयात करों का असर भारतीय बाज़ार पर ज़्यादा होगा.
ग्रहों की स्थिति साफ़ संकेत दे रही है कि जीएसटी पर होने वाले बदलाव कोई संयोग नहीं हैं, ये समय और ग्रहों की चाल का प्रतिफल हैं. इसे स्पष्ट तौर पर ऐसे समझ सकते हैं-
- आम जनता- राहत
- लक्ज़री लाइफ को चाहने वाले- महंगाई
यानी आने वाले महीनों में GST का सीधा असर ग्रहों की भाषा में सस्ता-सुख और महंगी-विलासिता के रूप में सामने आ सकता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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