JPC Meeting Updates: एक देश, एक चुनाव के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक खत्म हो गई है। बैठक में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस संजीव खन्ना ने बिल की संवैधानिक वैधता और इसके प्रावधानों पर अपनी राय पेश की। संजीव खन्ना ने स्पष्ट किया है कि यह बिल संविधान की बुनियादी संरचना का न तो सीधा उल्लंघन करता है और न ही उसमें कोई परिवर्तन लाता है। उन्होंने बिल पर अपना पक्ष रखते हुए भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को बिल के तहत दी गई शक्तियों पर विशेष जोर दिया।
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चुनाव आयोग को बताया जिम्मेदार संगठन
संजीव खन्ना ने कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है। आयोग के पास जमीनी हालात की सबसे सटीक समझ होती है। ऐसे में राज्य विधानसभाओं के चुनाव स्थगित करने की शक्ति उसे देना उचित है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि इन शक्तियों का दुरुपयोग रोकने के लिए ठोस सुरक्षा प्रावधान करने भी जरूरी हैं। बिल का घोषित उद्देश्य चुनावों की आवृत्ति को कम करना है, लेकिन यह लक्ष्य हर स्थिति में हासिल होना संभव नहीं होगा। विशेषकर तब, जब किसी विधानसभा का समय से पहले विघटन हो जाए।
मध्यावधि चुनाव नहीं होने की बात कही
संजीव खन्ना ने भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता पर भरोसा जताते हुए कहा कि पिछले कई दशकों से देश में कोई मध्यावधि चुनाव नहीं हुए हैं, जो राजनीतिक वर्ग की जिम्मेदारी और संस्थानों की मजबूती का सबूत हैं। इसके अलावा, देश के राष्ट्रपति द्वारा एक देश एक चुनाव की कराने की तारीख से संबंधित प्रावधान पर संजीव खन्ना ने सुझाव दिया कि मौजूदा अधिसूचना आधारित प्रक्रिया को बदलकर सीधे एक निश्चित तिथि को चुनाव कराने के प्रावधान को पहले से ही बिल में शामिल कर दिया जाना चाहिए।
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क्या है एक देश एक चुनाव बिल?
बता दें कि एक देश एक चुनाव बिल भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है। एक देश एक चुनाव लागू होने पर एक निश्चित समय पर एक निश्चित तारीख पर दोनों चुनाव एक साथ होंगे, ताकि बार-बार और अलग-अलग चुनाव करने से समय के साथ-साथ पैसे की बचत हो। संसाधनों और प्रशासनिक व्यवस्था पर बोझ कम हो।
इसके लिए संदर्भ यह दिया गया है कि भारत में वर्ष 1951, 1957, 1962 और 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए थे, लेकिन 1960 के दशक में कुछ विधानसभाएं समय से पहले भंग हो गई थीं, जिस वजह से एक चुनाव कराने की व्यवस्था का सिलसिला भी टूट गया। तब से आज तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग कराए जा रहे हैं।
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क्या है प्रस्ताव की वर्तमान स्थिति?
एक देश एक चुनाव का समर्थन BJP, JDU, BJD समेत कई क्षेत्रीय पार्टिया कर रही हैं। BJP इस प्रस्ताव को साल 2014 और 2019 के घोषणा-पत्र में भी शामिल कर चुकी है। वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, CPIM, और AIMIM ने इसका विरोध किया है। समाजवादी पार्टी ने बिल को लेकर तटस्थ रुख अपनाया हुआ है।
एक देश एक चुनाव के व्यवहारिकता पर स्टडी के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, जिसमें साल 2024 में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी। दिसंबर 2024 में केंद्र सरकार ने 129वां संविधान संशोधन बिल 2024 और संघ और समवर्ती चुनाव बिल 2024 लोकसभा में पेश किया। इन बिलों को BJP सांसद जगदंबिका पाल के नेतृत्व में गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है।
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