उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर माहौल गर्म है. एनडीए और इंडिया ब्लॉक दोनों ने अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर दिया है. जहां एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता सी.पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, वहीं विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस और गोवा के लोकायुक्त रह चुके सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
लोकसभा में पक्ष और विपक्ष के कितने सांसद?
हालांकि, आंकड़ों का गणित साफ तौर पर सत्ता पक्ष के पक्ष में झुका नजर आ रहा है. इस समय लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर संसद में कुल 782 सांसद वोट देने के हकदार हैं और जीत के लिए कम से कम 392 वोट जरूरी होंगे. लोकसभा में कुल 543 सांसद होते हैं, जिनमें से एनडीए के पास 293 सांसद हैं, जबकि विपक्ष (INDIA ब्लॉक) के पास 234 सांसद हैं और अन्य छोटे दलों के 15 सांसद हैं.
राज्यसभा में विपक्ष के पास कितने सांसद?
इसी तरह, राज्यसभा में कुल 240 सांसदों में से एनडीए के पास करीब 134 सांसदों का समर्थन है तो विपक्ष के पास 78 सांसद, वहीं छोटे राजनीतिक दल और निर्वाचित सांसदों की संख्या 28 की है. इस तरह लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के वोट मिलकर सत्ता पक्ष के पास कुल 427 वोट हैं, जो बहुमत के आंकड़े से 35 वोट ज्यादा हैं.
बहुमत से कितने वोट दूर है विपक्ष?
दूसरी ओर विपक्ष के पास केवल 312 वोट हैं, यानी बहुमत से 80 वोट कम. वहीं अन्य दलों और निर्दलीयों के पास 43 वोट हैं, लेकिन इनके बिना भी सत्ता पक्ष का पलड़ा भारी है. अगर पिछले चुनाव पर नजर डालें तो अगस्त 2022 में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे, जबकि विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को केवल 182 वोट ही हासिल हुए थे. उस समय 55 सांसदों ने मतदान नहीं किया था.
एनडीए और इंडिया गठबंधन की तरफ से उतारे गए उम्मीदवारों के प्रोफाइल पर एक नजर डालें तो दोनों ही उम्मीदवार दक्षिण भारत से आते हैं. राधा कृष्णन तमिल नाडु से तो सुदर्शन तेलंगाना से आते हैं. सी.पी. राधाकृष्णन भाजपा के पुराने नेता हैं और संगठन व प्रशासनिक अनुभव रखते हैं. वे फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक झारखंड के राज्यपाल रहे और इसके साथ ही तेलंगाना व पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला.
वर्तमान में सी.पी. राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. वहीं, विपक्ष के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं और गोवा के लोकायुक्त के रूप में भी उनकी ईमानदार और सख्त छवि सामने आई थी. विपक्ष ने उन्हें उतारकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि यह चुनाव संख्या बल का ही नहीं, बल्कि नैतिक बल और विचारधारा का भी है.
विपक्ष के पास संख्या बल की कमी
हालांकि आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि सत्ता पक्ष के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है. विपक्ष ने भले ही मजबूत छवि वाले सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा हो, लेकिन संख्या बल की कमी उनकी सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन विपक्षी दल उम्मीद कर रहे हैं कि उनको एनडीए से जुड़े हुए दलों के सांसदों का भी समर्थन मिल सकता है.
खास तौर पर दक्षिण भारत से जुड़ी हुई पार्टियों उनमें भी टीडीपी और वाईएसआरसीपी का. अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है, लेकिन इसकी संभावना काफी कम नजर आ रही है.
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