रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में एक बड़ी बैठक की। बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और नाटो के महासचिव मार्क रूट भी शामिल हुए।
बैठक से पहले डोनाल्ड ट्रंप के एक सहयोगी ने रूस को चेतावनी दी कि अगर युद्ध समाप्त नहीं हुआ तो वे उन देशों को प्रभावित करेंगे जो रूस से सस्ता तेल खरीदते हैं। इससे रूस की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी। ये बातें अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने स्वयं सोशल मीडिया पर पोस्ट की हैं।
‘रूस से सस्ता तेल खरीदने वालों…’
उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को मेरी सलाह है कि वे पुतिन को समझाएं कि यदि यह युद्ध समाप्त नहीं हुआ तो हम उन देशों पर हमला करेंगे जो रूस से सस्ता तेल और गैस खरीदते हैं और इससे रूसी अर्थव्यवस्था कुचल जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। इसे लेकर भारत और अमेरिका के बीच यह एक विवादित मुद्दा रहा है।
वहीं, बैठक के बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की के बयान के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि बैठक बहुत अच्छी रही। इस दौरान हमने यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी पर चर्चा की। रूस/यूक्रेन के लिए शांति की संभावना को लेकर सभी बहुत खुश हैं। बैठक समाप्त होने के बाद मैंने राष्ट्रपति पुतिन को फोन किया। इसके साथ ही राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच एक निर्धारित स्थान पर बैठक की व्यवस्था शुरू की गई। इस बैठक में दोनों राष्ट्रपति और मैं शामिल होंगे।
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हालांकि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 16 अगस्त को ट्रंप के साथ अलास्का में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि रूस ने अपना एक तेल खरीदार खो दिया है और वह भारत है।
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