भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने Minimum Public Shareholding (MPO) नियमों में ढील देने का सुझाव दिया है. मौजूदा नियमों के तहत कंपनियों को लिस्टिंग के 3 साल के भीतर 25% पब्लिक शेयरहोल्डिंग अनिवार्य करनी होती है. लेकिन अब SEBI बड़ी कंपनियों को इसके लिए ज्यादा समय देने पर विचार कर रहा है.
50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ की कंपनियां
SEBI के प्रस्ताव के मुताबिक, 50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये तक की मार्केट कैप वाली कंपनियों को लिस्टिंग के 5 साल के भीतर 25% पब्लिक शेयरहोल्डिंग लानी होगी.
1 लाख करोड़+ कंपनियों के लिए नई व्यवस्था
1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनियों के लिए दो अलग-अलग केस बनाए गए हैं.
अगर लिस्टिंग के समय पब्लिक शेयरहोल्डिंग 15% से कम है, तो कंपनी को 5 साल में इसे 15% और 10 साल में 25% तक बढ़ाना होगा.
अगर लिस्टिंग के समय पब्लिक शेयरहोल्डिंग 15% या उससे ज्यादा है, तो कंपनी को 5 साल में इसे 25% तक बढ़ाना होगा.
नॉन-कंप्लायंट कंपनियों को राहत, लेकिन फाइन जारी रहेगा
SEBI ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि जो कंपनियां मौजूदा समय में MPO नियमों का पालन नहीं कर रही हैं, उन्हें नए नियम लागू होने तक अतिरिक्त समय दिया जाएगा. हालांकि, इस दौरान उन्हें फाइन भरना जारी रखना होगा.
आगे क्या करेगा SEBI
SEBI ने इस कंसल्टेशन पेपर पर सार्वजनिक राय मांगी है और पब्लिक फीडबैक की आखिरी तारीख 21 अगस्त 2025 तय की है. इसके बाद SEBI इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय को भेजेगा.
खबर से जुड़े 5 FAQs
Q1. मौजूदा नियमों के तहत पब्लिक शेयरहोल्डिंग का क्या प्रावधान है?
लिस्टिंग के 3 साल के भीतर कंपनियों को 25% पब्लिक शेयरहोल्डिंग करनी होती है.
Q2. SEBI ने 50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ की कंपनियों के लिए क्या प्रस्ताव दिया है?
इन कंपनियों को अब 25% पब्लिक शेयरहोल्डिंग लाने के लिए 5 साल का समय मिलेगा.
Q3. 1 लाख करोड़+ कंपनियों के लिए नया नियम क्या होगा?
दो केस हैं- अगर लिस्टिंग पर पब्लिक होल्डिंग 15% से कम है तो 10 साल तक और अगर 15% या ज्यादा है तो 5 साल तक का समय मिलेगा.
Q4. नॉन-कंप्लायंट कंपनियों को क्या राहत मिलेगी?
उन्हें अतिरिक्त समय मिलेगा, लेकिन नए नियम लागू होने तक फाइन देना जारी रखना होगा.
Q5. इस पर पब्लिक फीडबैक की आखिरी तारीख क्या है?
21 अगस्त 2025.
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