FPI की बेरुखी जारी! 14 अगस्त तक शेयरों से निकाले ₹20,975 करोड़, यहां किया ₹4,469 करोड़ का निवेश Foreign Portfolio Investors: अमेरिका-भारत व्यापार तनाव, कंपनियों के पहली तिमाही (Q1FY26) के उम्मीद से कमजोर नतीजों और रुपये में गिरावट (Weak Rupee) के बीच एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं. FPI.

Foreign Portfolio Investors: घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी है. फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) ने अगस्त के पहले पखवाड़े में भारतीय शेयर बाजार में लगभग 21,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. अमेरिका-भारत व्यापार तनाव, कंपनियों के पहली तिमाही (Q1FY26) के उम्मीद से कमजोर नतीजों और रुपये में गिरावट (Weak Rupee) के बीच एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं.

टैरिफ गतिविधियों से तय होगा FPI का रुख

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इसके साथ ही 2025 में अबतक एफपीआई भारतीय शेयर बाजार से कुल 1.16 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं. एफपीआई का रुख आगे शुल्क मोर्चे पर गतिविधियों से तय होगा.

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ये फैक्टर्स हैं पॉजिटिव

 

भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लागू नहीं होने की संभावना

एंजल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट (CFA) वकारजावेद खान ने कहा कि अमेरिका और रूस के बीच तनाव में हालिया कमी और नए प्रतिबंध नहीं लगने की वजह से प्रतीत होता है कि भारत पर प्रस्तावित 25% का अतिरिक्त शुल्क (सेकेंडरी टैरिफ) 27 अगस्त के बाद लागू होने की संभावना नहीं है. यह बाजार के लिए स्पष्ट रूप से पॉजिटिव संकेत है.

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S&P ने भारत की रेटिंग बढ़ाई

उन्होंने आगे कहा कि एसएंडपी (S&P) ने भारत की साख को BBB- से बढ़ाकर ‘BBB’ कर दिया है, जिससे एफपीआई की धारणा को और बल मिल सकता है.

14 अगस्त तक निकाले ₹20,975 करोड़

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस महीने (14 अगस्त तक) शेयरों से 20,975 करोड़ रुपये की नेट निकासी की है. इससे पहले जुलाई में उन्होंने स्थानीय शेयर बाजार से 17,741 करोड़ रुपये निकाले थे. मार्च से जून तक के तीन महीनों में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 38,673 करोड़ रुपये डाले थे.

इन वजहों से कमजोर हुआ सेंटीमेंट्स

 

1. जियो-पॉलिटिकल टेंशन में बढ़ोतरी

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजमेंट रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, एफपीआई (FPI) की सतत निकासी की वजह मुख्य रूप से वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते है. जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ने और अमेरिका व अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरों के रुख को लेकर बढ़ती अनिश्चितता ने जोखिम उठाने की धारणा को कमजोर किया है.

2. अमेरिकी डॉलर की मजबूती

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हाल में अमेरिकी डॉलर में आई मजबूती की वजह से भी भारत जैसे उभरते बाजारों का आकर्षण कम हुआ है.

3. कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि कंपनियों के कमजोर नतीजों और ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भी एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं. 

बॉन्ड में किया निवेश

समीक्षाधीन अवधि के दौरान एफपीआई (FPI) ने बॉन्ड में सामान्य सीमा के तहत 4,469 करोड़ रुपये का निवेश किया है और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 232 करोड़ रुपये डाले हैं.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)


Q1. अगस्त 2025 में FPI की बिकवाली कितनी रही?

Ans: अगस्त 2025 के पहले पखवाड़े (1–14 अगस्त) में FPI ने ₹20,975 करोड़ की बिकवाली की है.

Q2. साल 2025 में अब तक FPI की कुल निकासी कितनी हो चुकी है?

Ans: 2025 में अब तक FPI ने भारतीय शेयर बाजार से ₹1.16 लाख करोड़ की निकासी की है.

Q3. FPI बिकवाली की प्रमुख वजहें क्या हैं?

Ans: FPI बिकवाली की प्रमुख वजह- अमेरिका-भारत व्यापार तनाव, पहली तिमाही के कमजोर नतीजे, रुपये में कमजोरी, जियो-पॉलिटिकल टेंशन हैं.

Q4. क्या FPI निवेश की गति में सुधार आ सकता है?

Ans: हां, कुछ पॉजिटिव संकेत मिल रहे हैं, जैसे- भारत पर सेकेंडरी टैरिफ लागू होने की संभावना नहीं है, जो बाजार के लिए राहत की बात है. S&P द्वारा भारत की रेटिंग बढ़ाकर ‘BBB’ करना FPI धारणा को मजबूत कर सकता है

Q5. क्या FPI ने पूरी तरह से इक्विटी से निकलकर बॉन्ड में शिफ्ट किया है?

Ans: नहीं, पूरी तरह नहीं. इस दौरान ₹4,469 करोड़ का निवेश बॉन्ड में किया गया है.

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