नई दिल्ली। पाक सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर (Pakistan Army Chief General Asim Munir) को पेंटागन के पूर्व अधिकारी और मध्य पूर्व विशेषज्ञ माइकल रुबिन (Former Pentagon official and Middle East expert Michael Rubin) ने कहा कि मुनीर सूट पहने कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन (Notorious terrorist Osama bin Laden) हैं। उनके लिए शायद इससे बुरा ओपिनियन किसी ने दिया होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप US (President Donald Trump) के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) की मांग करने वाले मुनीर खुद की तुलना अल-कायदा (Al-Qaeda) के पूर्व सरगना से किए जाने से आहत जरूर हुए होंगे।
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पर उम्मीद है कि मुनीर को यह बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा होगा, क्योंकि मुनीर के बारे में इससे भी बुरी बातें पाकिस्तान और भारत में होती रही हैं। अब वो अपने बारे में इस तरह के विचार सुनने के आदी हो चुके होंगे। मुनीर ने जिस तरह इमरान खान और उनकी पार्टी के लोगों पर जुल्म ढाएं हैं, वो तो किसी तानाशाह के लिए भी छोटी पड़ जाएंगी।
दरअसल अमेरिका के फ्लोरिडा के टैम्पा में प्रवासी पाकिस्तानियों की एक बैठक के दौरान मुनीर ने भारत को धमकी देते हुए जो कुछ कहा था उसकी प्रतिक्रिया तो वैश्विक स्तर पर होनी ही थी। मुनीर ने भारत पर परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी थी। मुनीर के इस बयान से न केवल भारत और अमेरिका में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं मिलीं। रुबिन ने तत्काल कूटनीतिक एक्शन की मांग करते हुए कहा कि पाकिस्तान का एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा छीना जाना चाहिए और उसे आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करना चाहिए।
रुबिन ने कहा कि मुनीर को अवांछित व्यक्ति घोषित करते हुए अमेरिकी वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ ने यहां तक कहा कि आसिम मुनीर के तरफ से ये टिप्पणियां करने के 30 मिनट के भीतर ही उन्हें देश से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए था। जाहिर है कि किसी भी देश के सेना प्रमुख के लिए इससे अधिक बेइज्जती और क्या हो सकती है? आइये देखते हैं कि अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ रुबिन आखिर क्यों आसिम मुनीर पर भड़के हुए थे।
मुनीर कुरान की आयतें पढ़ते हुए भारत के खिलाफ अपने कार्यों को जायज ठहराते रहे हैं। विशेष रूप से कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस कहना, एक कट्टरवादी और क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देने वाली मानसिकता रही है। लादेन की विचारधारा भी धार्मिक अतिवाद का सहारा लेकर पश्चिमी सभ्यता के खिलाफ हिंसा को जायज ठहराना था। मुनीर और लादेन की बयानबाजी में एक अतिवादी स्वर देखा गया, जो उनके विरोधियों के खिलाफ हिंसक और उत्तेजक है।
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आसिम मुनीर ने अमेरिका में पाकिस्तानी प्रवासी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, हम एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र हैं। अगर हमें लगेगा कि हम डूब रहे हैं, तो हम अपने साथ आधी दुनिया को ले डूबेंगे। जाहिर है कि यह सीधा सीधा भारत को निशाना बनाने के लिए बयान दिया गया था पर यह धमकी पूरे विश्व के लिए था। यह बयान साफ साफ आधी दुनिया को खत्म करने की बात करता है। मुनीर के इस बयान को कोई भी सभ्य राष्ट्र समर्थन नहीं दे सकता है। अमेरिका में भी इस बयान को लेकर बहुत नाराजगी थी। इस बयान को कई विश्लेषकों ने गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक माना, क्योंकि यह परमाणु युद्ध की धमकी को सामान्यीकृत करता है। माइकल रुबिन ने इस बयान को इस्लामिक स्टेट (ISIS) और ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादी नेताओं की बयानबाजी से जोड़ा। रुबिन ने कहा कि मुनीर की भाषा आतंकवादी संगठनों की वैचारिक बुनियाद को दर्शाती है, जो वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए खतरा है।
पाकिस्तानी सेना पर आतंकवादी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, को समर्थन देने का आरोप लगते रहते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए आतंकियों के जनाजे में भी मुनीर दिखना इस धारणा को और मजबूत करता है कि उनके संबंध आतंकवादी गुटों से हैं। बिन लादेन भी आतंकवादी संगठन अल-कायदा का संस्थापक और नेता था, जो वैश्विक आतंकवाद का प्रतीक रहा। मुनीर और लादेन दोनों ही आतंकवाद के साथ किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं।
रुबिन जैसे विशेषज्ञों ने पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजक देश घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मुनीर का यह बयान दक्षिण एशिया में नए गठबंधनों का दौर शुरू करने वाला कारक भी बनेगा। लादेन के चलते भी अमेरिका और कई देशों की विदेश नीति प्रभावित हुईं थीं। लादेन का ही प्रभाव था कि अफगानिस्तान में युद्ध और वैश्विक आतंकवाद-विरोधी अभियान शुरू हुए। लादेन और मुनीर दोनों के कार्यों या बयानों ने वैश्विक कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित किया है।
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