FY25 में ब्रोकरों की दोगुनी जांच, इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले भी बढ़े

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में निगरानी और कार्रवाई का स्तर काफी बढ़ा दिया है. स्टॉक ब्रोकरों से लेकर इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट तक, सभी पर कड़ी नजर रखी गई. वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि इस साल कई कैटेगरी में ऑडिट दोगुने से ज्यादा हुए.

ब्रोकरों की दोगुनी हुई जांच

FY25 में SEBI ने 312 स्टॉक ब्रोकरों की जांच की, जो पिछले साल की 146 जांचों के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है. यह कदम बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने और गलत तरीकों से ट्रेडिंग रोकने के लिए उठाया गया है.

इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और रिसर्च एनालिस्ट पर कड़ी निगरानी

इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स की जांच में जबरदस्त उछाल आया. FY24 में जहां केवल 21 मामलों की जांच हुई थी, FY25 में यह बढ़कर 207 हो गई. इसी तरह, रिसर्च एनालिस्ट की जांच 15 से बढ़कर 149 तक पहुंच गई. यह कदम गलत या पक्षपाती रिसर्च रिपोर्ट्स और निवेशकों को गुमराह करने वाली सलाह पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया.

म्यूचुअल फंड और RTA जांच में स्थिरता

म्यूचुअल फंड और उनके रजिस्ट्रार/ट्रांसफर एजेंट्स (RTAs) की जांच लगभग स्थिर रही. FY25 में 24 जांचें हुईं, जबकि FY24 में यह 25 थीं. इसका मतलब है कि इस सेगमेंट में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ.

फ्रॉड और अनफेयर ट्रेड मामलों में गिरावट

SEBI की सख्ती का असर कुछ जगह दिखा भी. फ्रॉड और अनफेयर ट्रेड के मामले FY24 के 160 से घटकर FY25 में 106 हो गए. फ्रंट रनिंग के मामले 83 से घटकर 44 हुए. प्राइस मैनिपुलेशन मामलों में कमी आई, मामले 77 से घटकर 61 रह गए.

इनसाइडर ट्रेडिंग के मामलों में तेजी

जहां बाकी मामलों में कमी आई, वहीं इनसाइडर ट्रेडिंग में बढ़ोतरी दर्ज हुई. FY25 में ऐसे 287 मामले सामने आए, जबकि FY24 में यह 175 थे. जांच पूरी होने के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई, 130 से बढ़कर 192 मामले निपटाए गए.

निगरानी के नए तरीके और टेक्नोलॉजी

SEBI ने ऑफसाइट इंस्पेक्शन अलर्ट्स का इस्तेमाल शुरू किया, जिससे ब्रोकर, डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स, इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स और RTAs की लगातार मॉनिटरिंग हो सके. इसके अलावा, SEBI e-drive नाम का क्लाउड-बेस्ड प्लेटफॉर्म भी तैयार किया जा रहा है, जिससे जांच से जुड़ी जानकारी और अलर्ट रियल-टाइम में शेयर किए जा सकेंगे.

फीस कलेक्शन में बढ़ोतरी

वार्षिक रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि इक्विटी और F&O ब्रोकरों से ली जाने वाली फीस ₹140 करोड़ से बढ़कर ₹190 करोड़ हो गई. इक्विटी IPO प्रॉस्पेक्टस से मिलने वाली फीस ₹100 करोड़ से बढ़कर ₹270 करोड़ हो गई.

क्या है इसका मतलब निवेशकों के लिए

SEBI की यह बढ़ी हुई निगरानी और सख्ती बाजार में पारदर्शिता लाने में मदद करेगी. इससे निवेशकों को भरोसा मिलेगा कि ब्रोकर, एडवाइजर्स और एनालिस्ट्स पर सख्त नजर रखी जा रही है. साथ ही, इनसाइडर ट्रेडिंग और अनफेयर ट्रेडिंग जैसी गलत गतिविधियों को रोकने में भी मदद मिलेगी.

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