शेयर मार्केट (Stock Market) में निवेश करने से पहले केवल कंपनी का नाम और ब्रांड देखकर स्टॉक खरीद लेना अक्सर निवेशकों के लिए घाटे का सौदा साबित होता है. किसी भी स्टॉक का सही मूल्यांकन करने के लिए आपको कुछ इंपॉर्टेंट फाइनेंशियल रेश्यो देखने जरूरी होते हैं.
इनमें P/E (प्राइस टू अर्निंग) रेश्यो और P/B (प्राइस टू बुक) रेश्यो दो ऐसे प्रमुख मापदंड हैं जो यह बताते हैं कि कोई स्टॉक महंगा है, सस्ता है या अपनी सही कीमत पर है. इस आर्टिकल में हम आपको इन दोनों रेश्यो के मतलब, अंतर और महत्व के बारे में विस्तार से बताएंगे.
P/E Ratio क्या है?
P/E Ratio यानी प्राइस टू अर्निंग्स रेश्यो यह बताता है कि निवेशक कंपनी की प्रति शेयर कमाई (EPS) के कितने गुना दाम देकर शेयर खरीद रहे हैं. इसे निकालने का तरीका है, शेयर की मौजूदा कीमत को कंपनी के प्रति शेयर मुनाफे (EPS) से भाग देना.
उदाहरण के लिए, अगर किसी शेयर की कीमत ₹500 है और उसका EPS ₹25 है, तो P/E Ratio = 500 ÷ 25 = 20 होगा. इसका मतलब निवेशक उस कंपनी की एक साल की कमाई के 20 गुना दाम पर शेयर खरीद रहे हैं.
आम तौर पर ज्यादा P/E का मतलब होता है कि मार्केट को कंपनी से भविष्य में ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद है, जबकि कम P/E यह दिखा सकता है कि शेयर सस्ता है या कंपनी की ग्रोथ धीमी रहने वाली है.
हालांकि, सिर्फ P/E देखकर फैसला लेना सही नहीं होता, क्योंकि अलग-अलग सेक्टर में औसत P/E अलग होता है और किसी कंपनी का सही मूल्यांकन करने के लिए आपको उसके बिज़नेस मॉडल, ग्रोथ पोटेंशियल और फाइनेंशियल स्थिति को भी देखना जरूरी है.
P/B Ratio क्या है?
P/B Ratio यानी प्राइस टू बुक रेश्यो यह बताता है कि किसी कंपनी की बुक वैल्यू (यानी उसकी कुल संपत्ति में से कुल देनदारियां घटाने के बाद बची नेट वैल्यू) के मुकाबले निवेशक एक शेयर के लिए कितनी कीमत दे रहे हैं.
अगर किसी कंपनी का बुक वैल्यू प्रति शेयर ₹200 है और शेयर की मार्केट कीमत ₹400 है, तो P/B Ratio = 400 ÷ 200 = 2 होगा, मतलब निवेशक उसकी बुक वैल्यू के दो गुना पर शेयर खरीद रहे हैं.
आमतौर पर अगर P/B Ratio 1 से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि मार्केट को कंपनी से भविष्य में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद है और अगर यह 1 से कम है तो शेयर अपनी बुक वैल्यू से सस्ता है या कंपनी पर भरोसा कम है.
यह रेश्यो खासकर बैंकिंग और फाइनेंशियल कंपनियों में बहुत काम आता है, लेकिन अकेले इसे देखकर फैसला नहीं लेना चाहिए, बल्कि कंपनी की क्वालिटी, कमाई, कर्ज और भविष्य की संभावनाएं भी देखनी जरूरी होती हैं.
P/E और P/B Ratio में क्या अंतर होता है?
P/E Ratio और P/B Ratio दोनों ही शेयर का वैल्यूएशन समझने के तरीके हैं, लेकिन ये अलग पहलुओं को मापते हैं. P/E Ratio बताता है कि कंपनी की कमाई (प्रति शेयर मुनाफा) के मुकाबले निवेशक कितना दाम दे रहे हैं, यानी यह प्रॉफिटेबिलिटी को मापने में मदद करता है.
वहीं, P/B Ratio बताता है कि कंपनी की नेट एसेट (कुल संपत्ति माइनस देनदारियां) के मुकाबले उसकी कीमत क्या है, यानी यह कंपनी के एसेट बेस और वैल्यूएशन को देखने में उपयोगी है.
अगर P/E ज्यादा है तो इसका मतलब हो सकता है कि शेयर महंगा है या निवेशकों को कंपनी की ग्रोथ से बड़ी उम्मीदें हैं. वहीं, ज्यादा P/B यह दिखा सकता है कि शेयर की कीमत कंपनी की असली बुक वैल्यू से बहुत ऊपर है या कंपनी के पास कम एसेट बेस है.
आमतौर पर P/E का महत्व टेक और ग्रोथ सेक्टर में ज्यादा होता है, जबकि P/B ज्यादा अहम एसेट-हैवी सेक्टर जैसे बैंकिंग, रियल एस्टेट या मैन्युफैक्चरिंग में होता है.
P/E Ratio क्यों जरूरी है?
यह बताता है कि बाजार कंपनी की कमाई के लिए कितना प्रीमियम दे रहा है.
हाई P/E वाले स्टॉक्स में ग्रोथ की उम्मीद ज्यादा होती है, लेकिन ओवरवैल्यूड होने का खतरा भी रहता है.
लो P/E वाले स्टॉक्स अंडरवैल्यूड हो सकते हैं, लेकिन यह भी संभव है कि कंपनी की ग्रोथ कम हो या रिस्क ज्यादा हो.
P/B Ratio क्यों जरूरी है?
यह मापता है कि कंपनी के नेट एसेट के मुकाबले स्टॉक महंगा है या सस्ता.
बैंकिंग, इंश्योरेंस, रियल एस्टेट जैसी एसेट-हैवी कंपनियों के वैल्यूएशन में P/B Ratio खास अहमियत रखता है.
लो P/B Ratio का मतलब स्टॉक सस्ता हो सकता है, लेकिन यह भी संकेत हो सकता है कि कंपनी की एसेट क्वालिटी खराब है.
खबर से जुड़े जरूरी FAQs
P/E Ratio क्या बताता है?
यह बताता है कि कंपनी के प्रति रुपये के मुनाफे के लिए निवेशक कितनी कीमत दे रहे हैं.
P/B Ratio किन कंपनियों में ज्यादा मायने रखता है?
बैंकिंग, रियल एस्टेट और इंश्योरेंस जैसी एसेट-हैवी कंपनियों में.
क्या हाई P/E Ratio हमेशा बुरा होता है?
नहीं, अगर कंपनी की ग्रोथ पोटेंशियल मजबूत है तो हाई P/E सही हो सकता है.
लो P/B Ratio का मतलब हमेशा अंडरवैल्यूड स्टॉक है?
नहीं, यह खराब एसेट क्वालिटी का भी संकेत हो सकता है.
क्या निवेश में केवल P/E और P/B देखना पर्याप्त है?
नहीं, अन्य फाइनेंशियल पैरामीटर्स और बिजनेस क्वालिटी भी जरूरी है.
(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी P/E और P/B रेश्यो के बारे में और उसके इंपॉर्टेंस के बारे में बताती है. लेकिन किसी भी स्टॉक को खरीदने के लिए सिर्फ इन दो चीजों को देखना जरूरी नहीं होता. बल्कि आपको कंपनी का बिज़नेस मॉडल, ग्रोथ पोटेंशियल और फाइनेंशियल स्थिति भी देखनी चाहिए.)
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