चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि बिहार सघन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बिना नोटिस जारी किए किसी भी मतदाता का नाम लिस्ट से नहीं हटाया जाएगा. 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले दाखिल जवाब में चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी मतदाताओं को सुनवाई और दस्तावेज रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा. जिनका नाम लिस्ट में शामिल नहीं हो सकेगा, उनके बारे में कारण बताते हुए लिखित आदेश जारी किया जाएगा.
65 लाख वोटर का ड्राफ्ट लिस्ट में नाम नहीं: चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि मतदाताओं को उसके लिखित आदेश के विरोध में 2 स्तरों पर अपील करने की सुविधा दी जाएगी. आयोग ने बताया है कि उसे 7 करोड़ 89 लाख मतदाताओं में से 7 करोड़ 24 लाख के फॉर्म मिले हैं, जो 65 लाख लोग ड्राफ्ट लिस्ट में जगह नहीं बना पाए हैं, उनके बारे में विस्तृत जानकारी राजनीतिक पार्टियों के बूथ लेवल एजेंट (BLA) को उपलब्ध कराई गई है. ड्राफ्ट लिफ्ट का प्रकाशन 1 अगस्त को हुआ, लेकिन छूट रहे मतदाताओं की जानकारी 20 जुलाई को ही BLA को उपलब्ध करवा दी गई थी.
जिनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं, उन्हें दिया जाएगा पूरा मौका: EC
BLA की सहायता और मतदाताओं के खुद के प्रयास से बहुत से लोग ड्राफ्ट लिस्ट में जगह बन पाने में सफल रहे. जो लोग छूट गए हैं, उन्हें भी पूरा अवसर दिया जा रहा है. चुनाव आयोग यही चाहता है कि कोई भी योग्य मतदाता वोटर लिस्ट में जगह पाने से वंचित न रहे. जिन लोगों के पास उपयुक्त दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें राज्य सरकार के तंत्र का इस्तेमाल कर दस्तावेज प्राप्त करने में भी सहायता दी जा रही है.
लोगों को किया जा रहा है जागरूक: ईसी
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने मतदाताओं तक जानकारी पहुंचाने के लिए समय-समय पर देश के सभी बड़े अखबारों में विज्ञापन जारी किए हैं. नियमित रूप से प्रेस रिलीज भी जारी की जा रही है. एसएसएस भेज कर लोगों को जागरूक किया गया. बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) ने घर-घर जाकर लोगों की पुष्टि करने की कोशिश की, जो लोग 1 अक्टूबर 2025 को 18 वर्ष की आयु के हो जाएंगे, उनका भी फॉर्म एडवांस में लिया जा रहा है. बुजुर्ग, दिव्यांग या किसी अन्य कारण से असहाय मतदाताओं की पूरी सहायता की जा रही है.
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