रैना-रिंकू से सूर्यकुमार-पंत तक, भारतीय क्रिकेटरों ने इस तरह मनाया Raksha Bandhan 2025; देखें तस्वीरें

पूरा देश आज यानी 9 अगस्त को भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन मना रहा है. क्रिकेटर्स भी इससे अछूते नहीं हैं. भारतीय क्रिकेटरों ने खास अंदाज में अपनी बहन के साथ 2025 रक्षाबंधन का त्योहार सेलिब्रेट किया. इस फेहरिस्त में कई बड़े नाम शामिल हैं, जिन्होंने रक्षाबंधन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं. फैंस को अपने चहेते क्रिकेटरों की तस्वीरें खूब पसंद आ रही हैं. 

वीरेंद्र सहवाग, सुरेश रैना, श्रेयस अय्यर, रिंकू सिंह, सूर्यकुमार यादव, अर्जुन तेंदुलकर, नितीश कुमार रेड्डी, आकाशदीप, ऋषभ पंत और रवि बिश्नोई समेत कई क्रिकेटरों ने धूम-धाम से मनाया. बता दें कि रक्षाबंधन में बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र (राखी) बांधती है, और भाई अपनी बहन को हर तरह से सपोर्ट करने और उसकी रक्षा करने का वादा करता है. साथ ही भाई अपनी बहन को स्पेशल गिफ्ट भी देता है. 

 

 


जानें क्यों मनातें हैं रक्षाबंधन? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि कई दूसरे देशों में भी मनाया जाता है. देश विदेश में रक्षाबंधन के त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. वैसे तो इस त्यौहार को लेकर कई कहानी हैं, लेकिन अगर पुराण की मानें तो रक्षाबंधन की शुरुआत जब देवासुर संग्राम में इंद्र असुरों से हार रहे थे, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने एक रक्षा सूत्र तैयार करके इंद्र की कलाई पर बांधा था. इस रक्षा सूत्र की वजह से इंद्र देव ने युद्ध में विजय प्राप्त की. तब से ही यह त्योहार मनाया जाता है. यह त्योहार सनातन धर्म में सुरक्षा व सौहार्द का प्रतीक है.

 

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जानें क्यों मनातें हैं रक्षाबंधन?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रक्षाबंधन का त्योहार सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि कई दूसरे देशों में भी मनाया जाता है. देश विदेश में रक्षाबंधन के त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. वैसे तो इस त्यौहार को लेकर कई कहानी हैं, लेकिन अगर पुराण की मानें तो रक्षाबंधन की शुरुआत जब देवासुर संग्राम में इंद्र असुरों से हार रहे थे, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने एक रक्षा सूत्र तैयार करके इंद्र की कलाई पर बांधा था. इस रक्षा सूत्र की वजह से इंद्र देव ने युद्ध में विजय प्राप्त की. तब से ही यह त्योहार मनाया जाता है. यह त्योहार सनातन धर्म में सुरक्षा व सौहार्द का प्रतीक है. 

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