Raksha Bandhan Historical Stories: रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का त्योहार ही नहीं अपितु भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी प्रतीक है. रक्षाबंधन की परंपरा भाई-बहन के प्यार और पवित्र रिश्ते की अनोखी परंपरा है.
रक्षा बंधन के मौके पर महाभारत काल से लेकर मुगल काल तक की अलग-अलग प्रेरणा से भरी कहानियां आज भी याद की जाती है.
इस साल रक्षाबंधन का त्योहार भारत में 9 अगस्त 2025, शनिवार के दिन मनाया जाएगा. इस खास अवसर पर बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती है. इस बार रक्षाबंधन पर किसी भी तरह का भद्राकाल नहीं है, जिसके कारण बहनें पूरे दिन भाइयों को राखी बांध सकती है.
रक्षाबंधन का महाभारत काल से संबंध
महाभारत काल में द्रौपदी और भगवान श्रीकृष्ण की कहानी रक्षाबंधन की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक है. मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया.
जिसके बाद कृष्ण ने द्रौपदी का ये प्रेम और अपनापन देखकर वचन दिया कि जीवन में किसी भी तरह की संकट में वे द्रौपदी की रक्षा करेंगे. चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने अपने वचन को पूर्ण किया, जब उन्होंने द्रौपदी की लाज बचाकर रक्षा की थी.
अलेक्जेंडर और पुरु की कहानी
रक्षाबंधन की एक कहानी अलेक्जेंडर से भी जुड़ी हुई है. ईसा पूर्व 326 में सिकंदर की पत्नी रॉक्साना ने भारतीय राजा पुरु को राखी भेजकर उनसे अपने पति के प्राणों की रक्षा का वचन लिया था.
युद्ध के दौरान पुरु ने रॉक्साना की भावनाओं और प्रेम का सम्मान किया और सिकंदर को किसी भी तरह की क्षति नहीं पहुंचाई.
रक्षाबंधन की कहानी मुगल काल में
मुगल काल में भी रक्षाबंधन की कहानी का जिक्र देखने और सुनने को मिलता है. दरअसल मेवाड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह के युद्ध से बचने के लिए हुमायूं को राखी भेजी थी. भाई के रूप में हुमायूं ने उनके राज्य की रक्षा करने के लिए अपनी सेना भेजी. यह घटना सांस्कृतिक और भाई-बहन के रिश्ते की मिसाल कायम करती है.
रक्षाबंधन का संबंध महाभारत से लेकर मुगल काल तक इस बात का प्रमाण देती है कि राखी की परंपरा ने समय-समय पर प्रेम, सम्मान और सुरक्षा के बंधन को और अधिक मजबूत किया है.
अब चाहे वो मैदान का युद्ध हो या महल का आंगन, राखी का धागा हमेशा भाई-बहन के रिश्तों को मजबूती और विश्वास प्रदान करता है.
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