पूजा में जमीन पर नहीं बैठ पाए सीएम नीतीश कुमार, तेजस्वी ने अमित शाह पर कसा तंज

सीतामढ़ी में मां सीता मंदिर के भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक साथ मौजूदगी के दौरान एक अनोखा वाकया राजनीतिक विवाद का कारण बन गया। कार्यक्रम में अमित शाह पूजा के लिए छोटे लकड़ी के चौकीनुमा आसन पर बैठ गए, लेकिन नीतीश कुमार उसके बगल में रखे छोटे टेबल जैसे आसन पर बैठ नहीं पाए।

गृहमंत्री अमित शाह ने हाथ पकड़कर सीएम नीतीश को बैठाने का प्रयास किया। लेकिन सीएम नहीं बैठ पाए। इसका वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हो गया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मामले में अमित शाह पर निशाना साधा है। तेजस्वी ने वीडियो साझा करते हुए एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा कि ‘क्या हालत बना दिए हैं… बस मुख्यमंत्री जी के क्रियाकलाप व भंगिमा को देखते जाइए और अनुमान लगाइए कि बिहार को कौन चला रहा है।’ तेजस्वी का इशारा उस बात पर था, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार के सीएम को बार बार नीचे बैठने के लिए कह रहे हैं।

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क्या है पूरा मामला?

सीतामढ़ी में शुक्रवार को सीतामढ़ी में जानकी मंदिर की आधारशिला रखने का कार्यक्रम था। कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे। पुरोहितों के साथ अमित शाह चौकी पर बैठे हैं। तभी सीएम नीतीश कुमार वहां आते हैं, तो अमित शाह ने हाथ पकड़कर सीएम नीतीश कुमार को दूसरी चौकी पर बैठने का इशारा किया। इसपर नीतीश ने 3 बार बैठने का प्रयास किया लेकिन नहीं बैठ पाए। इसके बाद सीएम के लिए कुर्सी लाई गई। तब नीतीश कुमार कुर्सी पर बैठकर पूजा में शामिल हुए। मामले की वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हुई। तेजस्वी के इस बयान के बाद यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि पूरे विवाद में अभी नीतीश कुमार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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पुनौरा धाम: सियासत और संस्कृति का संगम

सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने माता जानकी के भव्य मंदिर की आधारशिला रखी। यह आयोजन एक धार्मिक अनुष्ठान मात्र नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन भी था। शिलान्यास के मौके पर बारिश को ‘मां सीता का आशीर्वाद’ बताकर इसे धार्मिक आधिपत्य का रूप दिया गया। मंदिर के निर्माण पर 890 करोड़ रुपए की लागत आएगी, जिसमें 137 करोड़ मंदिर निर्माण पर, जबकि 638 करोड़ परिक्रमा पथ और अन्य सुविधाओं पर खर्च होंगे। यह रामायण सर्किट को नया आयाम देने वाला कदम है, जो निश्चित ही बीजेपी के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे से जुड़ा है।

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