Kajri Teej 2025: सुहागिनों के लिए खास! ज्योतिषाचार्य से जानें व्रत का महत्व, कथा, शुभ योग और पूजा विधि

Kajri Teej 2025: हरियाली तीज के बाद आने वाली कजरी तीज सुहागिनों के लिए खास होती है. इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के साथ चंद्रमा की पूजा करती हैं. इसे सातूड़ी तीज या बड़ी तीज के नाम से भी जानते हैं. कजरी तीज के दिन सुहागिनें पति की लंबी की कामना के लिए व्रत रखती हैं.

भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है. यह त्योहार 12 अगस्त को मनाया जाएगा.

ज्योतिषाचार्य से जानिए कजरी तीज का महत्व
श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 11 अगस्त सुबह 10:33 बजे शुरू होगी और 12 अगस्त सुबह 8:40 बजे समाप्त होगी.

उदया तिथि के अनुसार कजरी तीज 12 अगस्त को मनाई जाएगी. यह पर्व उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान सहित कई राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज भी कहा जाता है.

जिस तरह से हरियाली तीज, हरतालिका तीज का पर्व महिलाओं को लिए बहुत मायने रखता है. उसी तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण त्योहार है.

कजरी तीज क्यों मनाई जाती है?
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि यानी रक्षा बंधन के तीन दिन बाद कजरी तीज मनाई जाती है.

कजरी तीज को कज्जली तीज भी कहा जाता है. हरियाली और हरितालिका तीज की तरह कजरी तीज भी अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और करवाचौथ की तरह शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं.

इस दिन शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है. मान्यता है कि कजरी तीज के दिन विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं.

सुहागिन महिलाओं के लिए खास कजरी तीज
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजली तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए अहम पर्व है. वैवाहिक जीवन की सुख और समृद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है.

कहा जाता हैं कि इस दिन जप कन्या या सुहागने पूरे श्रद्धा से अगर शिव भगवान और माता पारवती की पूजा की जाए तो उन्हें अच्छा जीवनसाथी सदा सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है. माना जाता हैं की इस दिन मां पार्वती ने शिव जी को अपनी कठोर तपस्या के बाद प्राप्त किया था.

मान्यता है कि कजली तीज के मौके पर विशेष रूप से गौरी की पूजा करें. व्यक्ति की कुंडली में चाहे कितने ही बाधाए क्यों न हों, इस दिन पूजा से नष्ट किए जा सकते हैं. लेकिन इसका फायदा तभी होगा जब कोई अविवाहिता इस उपाय को खुद करे.

कजरी तीज शुभ योग
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस तिथि पर कई शुभ योग बनेंगे, जिनमें सुक्रम योग भी शामिल है. कजरी तीज के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरी रात रहेगा.

इसके अलावा शिववास योग भी बन रहा है. इन योगों में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है. कजरी तीज पर मघा और पूर्वभाद्रपद नक्षत्र का संयोग होगा. साथ ही उत्तरभाद्रपद नक्षत्र भी रहेगा.

इसके अलावा बव और बालव करण योग भी रहेंगे. इन योगों में भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

गाय की होती है पूजा
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि इस दिन गेहूं, चना और चावल को सत्तू में मिलाकर पकवान बनाएं जाते है. व्रत शाम को सूरज ढलने के बाद छोड़ते है. इस दिन विशेष तौर पर गाय की पूजा की जाती है.

आटे की रोटियां बनाकर उस पर गुड चना रखकर गाय को खिलाया जाता है. इसके बाद व्रत तोड़ा जाता है.
 
पूजन विधि
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि सर्वप्रथम नीमड़ी माता को जल व रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाएं. नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं.

मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए. नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं. दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें.

नीमड़ी माता को कोई फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें. पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें.
 
कजली तीज व्रत के नियम
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि यह व्रत सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है. हालांकि गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती हैं. यदि चांद उदय होते नहीं दिख पाये तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है. उद्यापन के बाद संपूर्ण उपवास संभव नहीं हो तो फलाहार किया जा सकता है.
 
व्रत कथा
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि एक गांव में गरीब ब्राह्मण का परिवार रहता था. ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने में आने वाली कजली तीज का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा, हे स्वामी आज मेरा तीज व्रत है.

कहीं से मेरे लिए चने का सत्तू ले आइए लेकिन ब्राह्मण ने परेशान होकर कहा कि मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं भाग्यवान. इस पर ब्राहमण की पत्नी ने कहा कि मुझे किसी भी कीमत पर चने का सत्तू चाहिए.

इतना सुनकर ब्राह्मण रात के समय घर से निकल पड़ा वह सीधे साहूकार की दुकान में गया और चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर सवा किलो सत्तू बना लिया. इतना करने के बाद ब्राह्मण अपनी पोटली बांधकर जाने लगा. तभी खटपट की आवाज सुनकर साहूकार के नौकर जाग गए और वह चोर-चोर आवाज लगाने लगे. ब्राह्मण को उन्होंने पकड़ लिया साहूकार भी वहां पहुंच गया.

ब्राह्मण ने कहा कि मैं बहुत गरीब हूं और मेरी पत्नी ने आज तीज का व्रत रखा है. इसलिए मैंने यहां से सिर्फ सवा किलो का सत्तू बनाकर लिया है. ब्राह्मण की तलाशी ली गई तो सत्तू के अलावा कुछ भी नहीं निकला. उधर चांद निकल आया था और ब्राह्मण की पत्नी इंतजार कर रही थी.

साहूकार ने कहा कि आज तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा. उसने ब्राह्मण को सातु, गहने, रुपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर अच्छे से विदा किया. सभी ने मिलकर कजली माता की पूजा की. जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे.
 
माता पार्वती को समर्पित है कजरी तीज
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि माता पार्वती को यह त्योहार समर्पित है. 108 जन्म लेने के बाद देवी पार्वती, भगवान शिव से विवाह करने में सफल हुईं. इस दिन को निस्वार्थ प्रेम के सम्मान के रूप में मनाया जाता है.

कजरी तीज का व्रत रखकर सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

कजरी तीज पर सुहागिन स्त्रियां करें खास काम
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि विवाहित महिलाएं इस दिन दुल्हन की तरह तैयार होकर देवी पार्वती और शंकर जी की पूजा करती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. इस दिन सोलह श्रृंगार कर पूजा करना चाहिए.

तीज पर महिलाएं पूजा पाठ के बाद लोकगीत जरूर गाएं. इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा आती है.  तीज पर झूला झूलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

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