भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने जुलाई में इक्विटी में 2.9 अरब डॉलर की बिकवाली की है और इसमें से 2.3 अरब डॉलर की निकासी केवल आईटी सेक्टर से की गई है. यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई. जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में बताया गया कि एकतरफ विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली की जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) खरीदारी कर रहे हैं. जुलाई में डीआईआई ने भारतीय इक्विटी मार्केट में 7.1 अरब डॉलर का निवेश किया है.
इन सेक्टर्स से निकाला पैसा
रिपोर्ट के मुताबिक, FIIs ने आईटी सेक्टर से 2.3 अरब डॉलर, बीएसएफआई से 671 मिलियन डॉलर, रियल्टी से 450 मिलियन डॉलर, ऑटो से 412 मिलियन डॉलर और ऑयलएंडगैस से 372 मिलियन डॉलर और ड्यूरेबल्स से 302 मिलियन डॉलर की निकासी की है. इसके अलावा, एफआईआई ने मेटल में 388 मिलियन डॉलर, सर्विसेज में 347 मिलियन डॉलर, एफएमसीजी में 175 मिलियन डॉलर, टेलीकॉम में 169 मिलियन डॉलर और केमिकल में 130 मिलियन डॉलर निवेश किए हैं.
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4 महीनों के बाद नेट सेलर बने FIIs
रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2025 में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि के बाद, भारतीय बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी में महीने-दर-महीने आधार पर जुलाई में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है. एफआईआई लगातार चार महीनों तक शुद्ध खरीदार रहने के बाद शुद्ध विक्रेता बन गए.
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एफआईआई 10 जुलाई तक शुद्ध खरीदार थे और उन्होंने 0.4 अरब डॉलर के शेयर खरीदे, जिसके बाद वे महीने के बाकी दिनों में 3.2 अरब डॉलर मूल्य के शेयर बेचकर शुद्ध विक्रेता बन गए.
बुधवार को FII-DII ने क्या किया?
भारत में एफआईआई की कुल होल्डिंग में बैंकिंग और वित्तीय सेवा (बीएफएसआई), आईटी, ऊर्जा और गैस, ऑटो और फार्मा सेक्टर की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने बुधवार को 4,999 करोड़ रुपए मूल्य के भारतीय शेयर बेचे, जबकि डीआईआई ने 6,794 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो जाएगा, जो 27 अगस्त से प्रभावी होगा. अमेरिका ने कहा कि इस टैरिफ वृद्धि का कारण भारत की ओर से रूस से कच्चे तेल की खरीद करना है.
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