महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की पिछले साल हुई हत्या के मामले में गिरफ्तार एक आरोपी की जमानत अर्जी मुंबई की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है. अदालत ने कहा कि अपराध में उसकी प्रथम दृष्टया संलिप्तता साबित हो चुकी है. मकोका मामलों की विशेष अदालत के जज महेश जाधव ने 5 अगस्त को अर्जी खारिज करते हुए कहा कि आरोपी चेतन दिलीप पारधी एक संगठित अपराध गिरोह का सदस्य था और उसे पता था कि सिद्दीकी को गोली मारी जाएगी. उसने शूटरों को सुरक्षित रहने में मदद की.
अदालत ने एक सह-आरोपी के इकबालिया बयान का हवाला दिया, जिसने दावा किया था कि गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई ने बाबा सिद्दीकी और उनके बेटे जीशान (जो उस समय विधायक थे) की हत्या करने के लिए मुंबई आए दो शूटरों के ठहरने की व्यवस्था करने के लिए 50,000 रुपये जमा किए थे.
पारधी ने शूटरों को मुंबई में सुरक्षित रहने में मदद की- कोर्ट
सह आरोपी के बयान के मुताबिक पारधी और अन्य आरोपियों ने शूटरों के ठहरने की व्यवस्था की थी. कोर्ट ने कहा, ”पारधी सोच समझकर संगठित आपराधिक गिरोह का सदस्य बना और शूटरों को मुंबई में सुरक्षित रहने में मदद की और उन्हें शूटिंग का अभ्यास करने के लिए शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले के कर्जत में भी ले गया.
आरोपी ने जमानत अर्जी में खुद को बताया निर्दोष
आरोपी ने अपनी जमानत अर्जी में खुद को निर्दोष बताया और दलील दी कि उसके और मामले के अन्य आरोपियों के बीच सिर्फ फोन कॉल होने से वह किसी संगठित अपराध गिरोह का हिस्सा नहीं बन जाता. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि पारधी ने शूटरों को मदद मुहैया कराई और अपराध में मदद की.
12 अक्टूबर 2024 को हुई थी बाबा सिद्दीकी की हत्या
एनसीपी नेता सिद्दीकी (66) की 12 अक्टूबर 2024 की रात मुंबई के बांद्रा (पूर्व) इलाके में उनके बेटे जीशान के ऑफिस के बाहर तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले में 26 गिरफ्तार लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है, जबकि जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई और दो अन्य वांछित आरोपी हैं.
सभी आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत मामला दर्ज किया गया है और वे फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद हैं.
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