बैंकिंग,एनबीएफसी,रियल्टी और ऑटो जैसे ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील शेयरों में सुस्त कारोबार देखने को मिल रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने बुधवार, 6 अगस्त को अपने “न्यूट्रल” रुख को बनाए रखते हुए रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इससे दरों के प्रति संवेदनशील शेयरों में मायूसी देखने को मिल रही है। आरबीआई के जुलाई पॉलिसी ऐलान के बाद बैंक निफ्टी में गिरावट देखने को मिल रही है। निफ्टी ऑटो और रियल्टी इंडेक्सों में 0.4-0.8 फीसदी की गिरावट आई है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, “घरेलू ग्रोथ रेट स्थिर है और हमारे अनुमान के मुताबिक ही आगे बढ़ रही है, हालांकि मई और जून में कुछ हाई फ्रिक्वेंसी इंडीकेटरों ने मिलेजले संकेत दिए हैं। मीडियम टर्म में बदलते ग्लोबल सिस्टम में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं मजबूत हैं,जो अपनी आंतरिक शक्ति, मज़बूत बुनियादी ढांचे और अनुकूल बफर्स के बल पर संभव है।”
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि एक्सपर्ट्स की उम्मीदों के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 की अंतिम तिमाही में रिटेल मंहगाई में बढ़ोतरी होने की संभावना है, हालांकि,कोर महंगाई के 4 प्रतिशत के स्तर पर स्थिर रहने की संभावना है।
आरबीआई के फैसले के बाद ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील सेक्टरों में मिलाजुला रुख रहा। निफ्टी बैंक और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज में सपाट कारोबार हुआ, जबकि निफ्टी ऑटो और निफ्टी रियल्टी में 0.65 प्रतिशत और 1.75 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। निफ्टी बैंक इंडेक्स में कोटक बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा और एचडीएफसी बैंक में बढ़त है। जबकि बाकी शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। इंडसइंड बैंक में सबसे ज़्यादा 1 फीसदी की गिरावट आई, उसके बाद आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक का नंबर रहा।
इस बीच, ऑटो इंडेक्स में बॉश सबसे ज़्यादा 4.6 फीसदी टूटा है। उसके बाद बालकृष्ण इंडस्ट्रीज 3 फीसदी से ज़्यादा और मदरसन 1 प्रतिशत से ज़्यादा गिरा है। हीरो मोटो, एक्साइड इंडस्ट्रीज, टीआई इंडिया, टीवीएस मोटर और भारत फोर्ज में भी 0.50 फीसदी से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, मारुति और आयशर मोटर्स बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं।
रियल्टी सेगमेंट में सभी शेयर हरे निशान में दिख रहे हैं। प्रेस्टीज सबसे ज़्यादा 2.5 फीसदी नीचे रहै। उसके बाद फीनिक्स, डीएलएफ, लोढ़ा, अनंत राज, ब्रिगेड और गोदरेज प्रॉपर्टीज़ का नंबर रहा। इनमें से प्रत्येक में 1 फीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई है।
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