फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने के फ्रांस के फैसले पर अमेरिका ने कड़ी आपत्ति जताई है. अमेरिका के विदेश सचिव मार्को रूबियो ने इसे 7 अक्टूबर (2023) में इजरायली नागरिकों के नरसंहार के पीड़ितों का अपमान बताया है. रुबियो के मुताबिक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का ये बकवास फैसला हमास के प्रोपेगेंडा को बढ़ाएगा और मिडिल ईस्ट में शांति को पीछे धकेल देगा. इस संबंध में अमेरिका के विदेश सचिव मार्को रूबियो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट भी किया था. हालांकि, फिलिस्तीन के संबंध में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के आगामी सत्र में फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र बनाने का ऐलान किया जाएगा.
न्यूज एजेंसी एएफपी की टैली के अनुसार, एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 142 देश या तो फिलिस्तीन को पहले ही मान्यता दे चुके हैं या भविष्य में देने की योजना बना रहे हैं. यह संख्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बदलती सोच को दर्शाती है, जहां फिलिस्तीन को एक वैध राजनीतिक इकाई के रूप में स्वीकार करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. वहीं फ्रांस पहला ऐसा बड़ा पश्चिमी यूरोपीय देश है जिसने इस तरह स्पष्ट तौर पर फिलिस्तीन को मान्यता देने का फैसला लिया है.
The United States strongly rejects @EmmanuelMacron’s plan to recognize a Palestinian state at the @UN general assembly.
This reckless decision only serves Hamas propaganda and sets back peace. It is a slap in the face to the victims of October 7th.
— Secretary Marco Rubio (@SecRubio) July 25, 2025
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का बयान
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फ्रांस के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि यह शांति प्रक्रिया के लिए हानिकारक है. उनके अनुसार यह हमास जैसे आतंकवादी संगठनों को प्रोत्साहित करता है. इससे इजरायल की सुरक्षा को खतरा बढ़ता है. यह 7 अक्टूबर के हमलों के पीड़ितों का अपमान है. वहीं फ्रांस के इस फैसले ने यूरोपीय संघ के अन्य देशों पर भी दबाव बढ़ा दिया है. आयरलैंड, स्पेन, नॉर्वे जैसे देशों ने पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता देने की इच्छा जताई है. इससे यह संकेत मिलता है कि यूरोप अब अमेरिका की बातों को नहीं मान रहा है. हालांकि, अमेरिका लंबे समय से इस मत का पक्षधर रहा है कि फिलिस्तीन को राज्य के रूप में तभी मान्यता दी जाए, जब वह इजरायल को मान्यता दे और आतंकवाद का परित्याग करे.
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