दाऊदी बोहरा कम्युनिटी कौन है? पीएम मोदी को बताते हैं अपना दोस्त, राजनीति में इनका कितना प्रभाव

Dawoodi Bohra Community: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंदन पहुंच चुके हैं। वहां पर उनका भारतीय प्रवासियों ने जोरदार स्वागत किया। इस दौरान दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के लोग एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने भी पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया। इस कम्युनिटी के लोगों से पीएम मोदी पहले भी मुलाकातें करते आए हैं। पीएम ने स्वागत की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं। इसके लिए उन्होंने लोगों का आभार व्यक्त किया। दाऊदी बोहरा कम्युनिटी क्यों खास है? राजनीति में इसका क्या प्रभाव है और ये लोग विदेशों के अलावा भारत में किन-किन राज्यों में रहते हैं? इन सारे सवालों के जवाब यहां पढ़िए।

लंदन में पीएम मोदी का स्वागत

प्रधानमंत्री मोदी का लंदन में शानदार स्वागत किया गया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट किया, जिसमें ब्रिटेन में भारतीय समुदाय के गर्मजोशी से किए गए स्वागत के लिए उनको शुक्रिया कहा। पीएम ने लिखा कि ‘मैं अभिभूत हूं, भारत की प्रोग्रेस के लिए उनका स्नेह और जुनून सचमुच उत्साहवर्धक है।’ हम प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए बहुत उत्साहित हैं। कई सालों से पीएम हमारे दोस्त रहे हैं। हम दाऊदी बोहरा हैं और हमें प्रधानमंत्री के साथ अपने समुदाय के रिश्ते पर बहुत गर्व है। ये शब्द उस दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के एक सदस्य के हैं। आखिर कौन हैं ये लोग जो खुद को पीएम का खास दोस्त बताते हैं?

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दाऊदी बोहरा कम्युनिटी कौन है?

द दाऊदीज बोहरा के मुताबिक, दुनिया भर में इस कम्युनिटी के लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए उनके एक नेता हैं। इन्हें अल-दाई अल-मुतलक कहा जाता है। फिलहाल इस पद पर परम पावन सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन हैं। उन्होंने 2014 में अपने पिता की जगह पर इन्होंने 53वें अल-दाई अल-मुतलक की जिम्मेदारी संभाली थी। रिपोर्ट के मुताबिक, यह यमन से शुरुआत करते हुए करीब 450 सालों तक अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं। सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन का ताल्लुक भारत से है।

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किन देशों में फैला है ये समुदाय?

रिपोर्ट्स कहती हैं कि इस समुदाय के करीब 10 लाख सदस्य हैं। वर्तमान में ये दुनिया के 40 से ज्यादा देशों में रह रहे हैं। इस समुदाय की ज्यादा आबादी भारत में है। दूसरे देशों की बात की जाए, तो ये पाकिस्तान, यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यमन, अरब देशों और पूर्वी अफ्रीका जैसे देशों में फैले हैं। वहीं, भारत की बात की जाए तो यहां गुजरात और महाराष्ट्र में इनकी अधिक आबादी है।

क्या काम करते हैं और राजनीति में प्रभाव

देश-विदेश में इस समुदाय की पकड़ है। इस समुदाय का काम शांति कायम रखना है। कहा जाता है कि यह काफी वफादार होते हैं और दुनियाभर में शांति कायम करने के लिए काम करते हैं। इसके चलते इनकी पकड़ मजबूत है। यह फातिमी इस्माइली तैयबी विचारधारा का पालन करते हुए आगे बढ़ते हैं। इस समुदाय की अनूठी पोशाक होती है। इस लिबास को अल-अनवर नाम दिया गया है। यह समुदाय बिजनेस के लिए जाता है। इसके नाम का भी वही मतलब है। बोहरा नाम को भी गुजराती भाषा से ही लिया गया है, जिसका मतलब ‘व्यापारी’ या ‘व्यवसायी’ होता है।

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