After Death in Islam: इस्लाम धर्म में मृत्यु को जीवन का अहम पहलू माना गया है, जो दुनिया से आखिरत (परलोक) की यात्रा की शुरुआत है. इस्लामिक शिक्षाओं के मुताबिक व्यक्ति की मृत्यु के बाद आत्मा यानी रूह शरीर से अलग हो जाती है. मरने के बाद की पहली रात काफी महत्वपूर्ण होती है, जिसे कब्र की रात भी कहा जाता है.
कुरान के मुताबिक जब किसी मुस्लिम व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे मिट्टी में दफनाया जाता है. हदीस के मुताबिक जब इंसान को दफनाया जाता है तो 2 फरिश्ते, जिनका नाम मुनकर और नकीर होता है, उसके पास आते हैं.
दोनों फरिश्ते को काले और नीले रंग में वर्णित किया जाता है, जो दिखने में काफी भयंकर होते हैं. जो क्रब में मरे हुए लोगों से तीन सवाल पूछते हैं.
- तुम्हारा रब कौन हैं?
- तुम्हारा धर्म क्या है?
- तुम्हारे पैगंबर कौन हैं?
कर्मों के हिसाब से मिलती है सजा
यदि कब्र में दफनाया गया व्यक्ति ने सही ईमान और नेक अमल के साथ जीवन बिताया है तो वह सही उत्तर देगा. उसे कब्र में आराम और रोशनी दी जाती है, साथ ही जन्नत के लिए खिड़कियां खोल दी जाती है.
वही कब्र में दफनाया गया व्यक्ति अगर फरिश्तों को गुमराह करता है तो हदीस के मुताबिक उसकी कब्र तंग कर दी जाती है और उसे अजाब यानी सजा दी जाती है. हदीस के मुताबिक एक पापी व्यक्ति की कब्र इतनी तंग कर दी जाती है कि उसकी पसलियां एक दूसरे में घुस जाती है.
मरने के बाद पहली रात निर्णायक
मरने के बाद इंसान आलमे बरजख में प्रवेश करता है. यह मरने और कयामत के बीच की स्थिति होती है. यह दौर इंसान के कर्मों के अनुसार या तो सुकून भरा रहता है या दर्दनाक.
इस्लाम धर्म में मरने के बाद पहली रात इंसानों के लिए निर्णायक मानी जाती है. मरने के बाद इंसान को ईमान और अमल के आधार पर उसे सुकून या अजाब मिलता है. मुस्लिमों को ये नेक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है.
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