प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में सोमवार, 21 जुलाई को उस समय हड़कंप मच गया जब पट्टी तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय के बाहर दिनदहाड़े दो लोगों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गईं। घायल हुए दोनों युवक सगे भाई बताए जा रहे हैं, जो जमीन की रजिस्ट्री कराने पहुंचे थे।
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घटना के पीछे कारण जमीन विवाद और राजनीतिक रंजिश दोनों माने जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, जगन्नाथ विश्वकर्मा और उनके भाई रजिस्ट्री के काम से कार्यालय पहुंचे थे। तभी बाइक सवार हमलावरों ने उन पर गोलियां बरसाईं। अरुण को कमर के नीचे और प्रेम शंकर को पैर में गोली लगी। दोनों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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प्रतापगढ़ में पट्टी तहसील रजिस्ट्री ऑफिस के बाहर का सीसीटीवी फुटेज देखी…कैसे ब्लॉक प्रमुख सुनील सिंह और उनके गुरुओं ने गोली मारी…
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— आदित्य तिवारी / Aditya Tiwari (@aditytiwarilive) July 21, 2025
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ब्लॉक प्रमुख पर गंभीर आरोप
घायलों के परिजनों और स्थानीय लोगों ने हमले के पीछे एक ब्लॉक प्रमुख और उसके गुर्गों का नाम लिया है। बताया गया कि जमीन को लेकर पहले से विवाद चल रहा था और पहले भी धमकियां मिल रही थीं। आरोप है कि ब्लॉक प्रमुख के इशारे पर इस साजिश को अंजाम दिया गया।
पुलिस ने किया बड़ा एक्शन
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घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार, एएसपी पूर्वी और स्थानीय थानों की टीमें मौके पर पहुंच गईं। घटनास्थल की घेराबंदी कर जांच शुरू कर दी गई है। चार थानों की फोर्स को तैनात किया गया है। पुलिस ने कहा है कि हमलावरों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही गिरफ्तारी होगी।
पहले से दर्ज है शिकायती पत्र
परिजनों का दावा है कि उन्होंने हमले से पहले ही स्थानीय प्रशासन को धमकी मिलने की शिकायत दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर समय रहते पुलिस ने संज्ञान लिया होता, तो आज यह दिन न देखना पड़ता।
कानून-व्यवस्था पर विपक्ष का सवाल
घटना को लेकर राजनीतिक हलकों में भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए हैं और दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। स्थानीय समाजसेवियों और व्यापारियों ने रजिस्ट्री दफ्तर की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।
जनता में दहशत, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, फायरिंग होते ही लोग इधर-उधर भागने लगे। दिनदहाड़े हुए इस हमले से आम नागरिकों में दहशत फैल गई है। लोगों का कहना है कि रजिस्ट्री कार्यालय जैसे संवेदनशील स्थान पर भी अब वे सुरक्षित महसूस नहीं करते।
कानून-व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर यूपी की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब रजिस्ट्री कार्यालय के बाहर भी लोग सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा की गारंटी कैसे दी जा सकती है? अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है और आरोपियों को कितनी जल्द पकड़ता है।
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