Jane Street: मार्केट रेगुलेटर सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने प्रमुख ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट को एक बार फिर से भारतीय बाजार में कारोबार करने की अनुमति दे दी है. हालांकि, ये मंजूरी कुछ शर्तों के साथ आई है. साथ ही सेबी ने स्टॉक एक्चेंज को हिदायत दी है कि जेन स्ट्रीट किसी भी तरीके से बाजार में मैनिपुलेशन (जोड़-तोड़) की गतिविधियों में शामिल न हो. वहीं,जेन स्ट्रीट ने भी सेबी को आश्वस्त किया है कि वह किसी भी मैनिपुलेशन का हिस्सा नहीं होगी और नियमों का पालन करेगी.
गतिविधियों पर कड़ी नजर रखेंगे NSE और BSE
न्यूज एजेंसी ANI ने रॉयटर्स के हवाले से कहा कि जेन स्ट्रीट को सेबी ने ये मंजूरी 56.7 करोड़ रुपए (लगभग 4843.50 करोड़ रुपए) जमा करने के बाद दी गई थी. हालांकि, सेबी की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. न्यूज एजेंसी की सूत्रों के मुताबिक सेबी ने बीते शुक्रवार को जेन स्ट्रीट को एक ईमेल भेजा था. इसमें कहा गया था कि रकम जमा करने के बाद अब अंतरिम आदेश द्वारा लगाया गया प्रतिबंध लागू नहीं होगी. वहीं, NSE और BSE को अमेरिकन फर्म की ट्रेडिंग गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा है.
ऑप्शन ट्रेडिंग नहीं करेगा जेन स्ट्रीट
जेन स्ट्रीट ने सेबी को आश्वासन दिया है कि फिलहाल वह ऑप्शन्स में ट्रेडिंग नहीं करेगी. सूत्रों के मुताबिक सेबी को जब तक फर्म अपने ट्रेड्स के बारे में पूरी तरह से समझा नहीं देती है, तब तक उसका इरादा कैश मार्केट में भी ट्रेडिंग करने का नहीं है. आपको बता दें कि जेन स्ट्री और इससे संबंधित संस्थाओं ने बैंक निफ्टी इंडेक्स को आर्टिफिशियल तरीके से बढ़ाने और घटाने के लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग रणनीति तैयार की थी. सेबी ने पाया कि 1 जनवरी 2023 से लेकर 31 मार्च 2025 के बीच जेन स्ट्रीट और उसकी संस्थाओं ने 43,289 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया. ये मुनाफा बैंक निफ्टी ऑप्शंस के जरिए था.
कैसे होता था बैंक निफ्टी में मैनिपुलेशन
जेन स्ट्रीट ने मुनाफा कैश मार्केट और फ्यूचर मार्केट में कीमतों के मैनिपुलेशन करके हासिल किया था. सेबी के मुताबिक इंट्रा डे रणनीति के तहत जेन स्ट्रीट सुबह के ट्रेडिंग सेशन के दौरान बैंक निफ्टी में शामिल शेयर्स और फ्यूचर में खरीदारी करती थी, इससे इंडेक्स में तेजी आती थी. हालांकि, जैसे-जैसे दिन का कारोबारी सत्र आगे बढ़ता जेन स्ट्रीट एग्रेसिव तरीके से उन्हीं पोजिशन को बेच देता और इंडेक्स टूट जाता है. सेबी के आदेश के मुताबिक इसकी टाइमिंग रैंडम थी और ये ट्रेड जानबूझकर मंथली एक्सपायरी के आस-पास हुए थे, जब ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स का निपटान इंडेक्स के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर किया जाता. इस स्विंग से जेन स्ट्रीट को बड़ा लाभ मिल रहा था.
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