Screen Time Effect on Teenagers: एक ऐसा दौर जहां सुबह की शुरुआत मोबाइल अलार्म से होती है और रात खत्म होती है सोशल मीडिया की स्क्रॉलिंग पर. ये कहानी सिर्फ बड़ों की नहीं, बल्कि अब तो बच्चों और टीनएजर्स की भी बन चुकी है. स्क्रीन अब सिर्फ पढ़ाई या जानकारी का जरिया नहीं, बल्कि मनोरंजन और सोशल कनेक्शन का भी सबसे बड़ा साधन बन चुका है. लेकिन इसी स्क्रीन की लत धीरे-धीरे टीनएजर्स को बीमार बना रही है. शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी.
स्क्रीन टाइम से बढ़ती परेशानियां
डॉक्टर्स की मानें तो टीनएजर्स में स्क्रीन टाइम का अत्यधिक उपयोग कई गंभीर समस्याओं को जन्म दे रहा है. मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट की रोशनी और लगातार बदलती कंटेंट की जानकारी न सिर्फ आंखों को थकाती है, बल्कि दिमाग को भी ज्यादा एक्टिव रखती है, जिससे नींद की क्वालिटी प्रभावित होती है.
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नींद की कमी
रोजाना अगर बच्चा 6 घंटे स्क्रीन पर बिता रहा है तो उसकी नींद का साइकल पूरी तरह डिस्टर्ब हो सकता है. नींद की कमी से थकान, चिड़चिड़ापन, फोकस की कमी और यहां तक कि डिप्रेशन जैसे लक्षण भी उभर सकते हैं.
तनाव और सोशल कंपैरिजन
सोशल मीडिया पर दिखने वाली परफेक्ट लाइफ, फिल्टर्ड चेहरे और ग्लैमरस लाइफस्टाइल को देखकर किशोरों में अपनी जिंदगी से असंतोष पनपने लगता है. वे खुद को दूसरों से कम समझने लगते हैं और यही भावनात्मक अस्थिरता डिप्रेशन, स्ट्रेस और एंग्जायटी जैसी मानसिक समस्याओं की वजह बनती है.
फिजिकल हेल्थ पर असर
- आंखों में जलन और थकावट
- माइग्रेन और सिर दर्द
- गलत पोस्चर से गर्दन और पीठ का दर्द
- शारीरिक गतिविधियों की कमी से मोटापा
समाधान क्या है?
- स्क्रीन टाइम लिमिट करें – बच्चों के लिए रोज़ाना 2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं होना चाहिए
- डिजिटल डिटॉक्स दिन– हफ्ते में कम से कम एक दिन डिजिटल ब्रेक लें
- फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं– स्पोर्ट्स, योग या आउटडोर गेम्स को समय दें
- सोशल मीडिया पर ओपन बातचीत– बच्चों से संवाद करें कि सोशल मीडिया की रियलिटी क्या होती है
- स्क्रीन-फ्री स्लीप रूटीन– सोने से 1 घंटे पहले स्क्रीन से दूरी रखें
स्क्रीन की लत एक आधुनिक समस्या है, जो धीरे-धीरे हमारे बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बना रही है. जागरूक पैरेंटिंग, रूटीन कंट्रोल और हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए हम इस डिजिटल डिपेंडेंसी को काबू में कर सकते हैं.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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